फैमिली लॉ में इन भेदभावों पर खुद से पूछें ये सवाल, फिर समझ जाएंगे क्यों जरूरी है यूसीसी

विधि आयोग (Law Commission) ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर लोगों से विचार आमंत्रित किए थे। समान नागरिक संहिता का मुद्दा सत्ताधारी दल बीजेपी के तीन प्रमुख मुद्दों में शामिल है। पार्टी के दो अन्य प्रमुख मुद्दों में एक जम्मू-कश्मीर में लागू संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त किया जा चुका है जबकि दूसरा उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का काम जारी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बीजेपी के तीसरे लंबित मुद्दे यूसीसी को भी सुलझा ही देगी। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। भारतीय समाज की विविधता के मद्देनजर सबके लिए समान कानून लागू कर पाना थोड़ा कठिन तो है। ऊपर से वोट बैंक की राजनीति के लिए देशहित के मुद्दों की भी बलि चढ़ाने को उतारू पार्टियां इस काम को और मुश्किल बना रही हैं। लेकिन आम जनता को किसी प्रॉपगैंडा में फंसे बिना कुछ सवाल तो खुद से करने चाहिए। हम यहां फैमिली लॉ में धर्म और लिंग के आधार पर हो रहे भेदभावों का जिक्र कर रहे हैं और पाठकों से अनुरोध भी कर रहे हैं कि वो इन भेदभावों के मद्देनजर खुद से सवाल करें कि क्या एक प्रगतिशील समाज में ऐसे कानूनी प्रावधान होने चाहिए?

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