रूस की जल्दबाजी और भारत का धैर्य, चंद्रयान-3 तो कछुए-खरगोश वाली कहानी है

नई दिल्ली: भारत ने चंदा मामा के घर में कदम रख दिया है। भारत की इस कामयाबी पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। चंद्रयान-3 की कहानी कछुए और खरगोश की कहानी की तरह है। बचपन में हम सबने कछुए और खरगोश की रेस की कहानी सुनी-पढ़ी है। कैसे कछुए को कमजोर समझ कर खरगोश रेस के बीच में सो जाता है और कछुए धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहता है और आखिर में रेस जीत जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ भारत के चंद्रयान-3 और रूस के लूना-25 के साथ। रूस ने महज 8 दिन में चांद पर उतरने की कोशिश की, वहीं भारत कछुए की तरह 40 दिन तक अंतरिक्ष में घूमता रहा। आज नतीजा सबके सामने है। धैर्य के साथ आगे बढ़ने वाला चंद्रयान-3 चांद पर सफलतापूर्वक उतर गया है।

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