हद सनम क तमज और बदतमजय आदपरष क बहस न फलम क डयलग क ओर खच धयन
सिनेमा के संवाद लेखक की मुश्किलें देखिए कि उसे आदर्श, यथार्थ, सरोकार और मनोरंजन के चार पहलुओं के बीच अपना काम करना होता है। गालियों या तालियों का प्रसाद इसी से तय होता है।
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