'तो दिल्ली का दूध-सब्जी बंद' मुजफ्फरनगर में किसान और पहलवानों ने निकाला सरकार को चित करने का दांव
नई दिल्ली: दिनभर गहमागहमी रही, वीडियो सोशल मीडिया पर आते रहे, हरिद्वार में मेडल बहाने पहलवान निकल चुके थे। गंगा नदी के किनारे पदक विजेता दिखे तो सैकड़ों प्रशंसक इकट्ठा हो गए। उधर, खाप और किसान नेता उन्हें मनाने के लिए कूच कर गए थे। साक्षी, विनेश और उनकी चचेरी बहन संगीता की आंखों में आंसू थे। वे जमीन पर ही बैठ गए। प्रशंसकों ने घेरा बना लिया। करीब 20 मिनट तक 'हर की पैड़ी' पर पहलवान ऐसे ही खामोश खड़े थे। कुछ देर में बजरंग पहुंचे। साक्षी के हाथ में रियो ओलंपिक का कांस्य पदक दिखाई दे रहा था। आसपास के लोग भी यह नजारा देखकर दुखी थे। अनिल कुंबले, अभिनव बिंद्रा, नीरज चोपड़ा समेत कई दिग्गज खिलाड़ियों ने समर्थन में ट्वीट करना शुरू कर दिया था। कुछ देर बाद खाप और किसान नेताओं के समझाने पर पहलवान अपने मेडल गंगा में प्रवाहित न करने को राजी हो गए। मांगें मनवाने के लिए पांच दिन का समय दिया गया है। हालांकि बात यहीं तक समाप्त नहीं होती। इस मामले को शांत कराने में किसान नेता नरेश टिकैत का बड़ा रोल था। बाद में पता चला कि पहलवान और खाप नेता हरिद्वार से आकर मुजफ्फरनगर में इकट्ठा हुए और वहां सरकार को चित करने का दांव ढूंढा गया।
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