40 हजार से 1800 बचे थे... फिर भी टाइगर जिंदा है! बोल पाते बाघ तो आज शुक्रिया कहते

नई दिल्ली: आज अगर टाइगर बोल पाते तो भारत को थैंक्यू कह रहे होते। जी हां, टाइगर जिंदा हैं क्योंकि आज ही के दिन 50 साल पहले उन्हें बचाने के लिए 'प्रोजेक्ट टाइगर' की नींव रखी गई थी। तब वक्त ऐसा आ गया था जब बहुत जल्दी 'एक था टाइगर' कहा जाने लगता। इसकी सबसे बड़ी वजह ट्रॉफी हंटिंग और शिकार थे। आज शेरू लेटर लिखता तो कहता, 'हम प्रोजेक्ट टाइगर के शुक्रगुजार हैं। वैसे तो कई लोगों का धन्यवाद किया जा सकता है। यह लिस्ट काफी लंबी है। ऐसे में बस इतना ही कहेंगे थैंक्यू इंडिया।' यह देशव्यापी प्रोजेक्ट बाघों की सुरक्षा और उनके कुनबे के संरक्षण के लिए शुरू किया गया था। इसका जबर्दस्त फायदा हुआ। 1973 के बाद धीरे-धीरे टाइगर की आबादी बढ़ने लगी। हां, शायद आज शेरू एक शिकायत भी करे, 'हमारी देखभाल तो अच्छे से होती है लेकिन रहने के लिए जगह पर्याप्त नहीं है। हमारे हरेभरे मैदान छीने जा रहे हैं और हमें छोटे आईलैंड की तरह के जंगल में रहने के लिए मजबूर कर दिया गया है।' टाइगर कहता कि आप हमारे इलाके में आ रहे हैं और हम आपके इलाके में जबकि ऐसा कोई नहीं चाहता। शेरू आगे लिखता, 'ऐसा ही चलता रहा तो हमारे लिए चिड़ियाघर ही स्थायी ठिकाना बचेगा। अगर आप हमें पसंद करते हैं तो प्लीज थोड़ा जंगल छोड़ दीजिए।'

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