तब कंधे पर अस्थि कलश लाए थे मोदी, 56 साल बाद पूरी हुई उस सेनानी की अंतिम इच्छा
देश को आजाद कराने के लिए श्यामजी ने लंदन में इंडिया हाउस, 'द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट' और 'द इंडियन होम रूल सोसाइटी' की स्थापना की थी। संस्कृत और शास्त्रों के प्रकांड विद्वान श्यामजी का 1930 में निधन हो गया था। उन्हें उम्मीद थी कि देश की आजादी के बाद उनकी अस्थियां स्वदेश पहुंचेंगी। 1947 में आजादी मिलने के 56 साल बाद तक परदेस में इस स्वतंत्रता सेनानी की अस्थियों को लेने कोई नहीं गया। आखिर में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जिनेवा से उनकी अस्थियों को स्वदेश लेकर आए थे।
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