सिंघल के सिर पर पड़ी लाठी, शाम को आई सेना... पढ़ें 1990 की कारसेवा में आखिर हुआ क्या था?
30 अक्टूबर 1990 की सुबह अयोध्या डर और अनिश्चितता की गिरफ्त में थी। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एलान कर रखा था कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। अयोध्या में चार दिनों से कर्फ्यू लगा था। राम जन्मभूमि के दर्शन पर रोक नहीं थी, लेकिन वहां किसी को जाने की इजाजत नहीं थी। कारसेवक कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे। भीड़ में दो तरह के लोग थे, एक तो वे थे जो कारसेवा के लिए ही हजारों किलोमीटर से आए थे। दूसरे वे, जो हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर अयोध्या की चौदह कोसी परिक्रमा के लिए आते थे, लेकिन कारसेवा को लेकर वे भी उत्तेजित थे। सभी कारसेवकों को विश्व हिंदू परिषद ने पहचान-पत्र के साथ छोटी सड़कों और पगडंडियों के नक्शे भी दे रखे थे।
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