9 महीने में बूस्टर डोज लेना बेकार? ज्यादा गैप पर जानिए क्या बता रहे एक्सपर्ट

भारत में बूस्‍टर या प्रिकॉशनरी डोज लेने वालों की तादाद कम है। एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, सरकार ने दूसरी डोज और प्रिकॉशनरी डोज के बीच में जो 9 महीने का गैप अनिवार्य कर रखा है, वह अवैज्ञानिक है। फोर्टिस सी-डॉक के चेयरमैन डॉ अनूप मिश्रा कहते हैं, 'ज्‍यादातर स्‍टडीज बताती हैं कि वैक्‍सीन की दो डोज से बनने वाली न्‍यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज 4 से 6 महीने बाद घटने लगती हैं। इसलिए मेरी राय में, डोज के बीच गैप छह महीने से ज्‍यादा नहीं होना चाहिए।' सर गंगाराम अस्‍पताल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्‍टेंट डॉ अतुल गोगिया भी गैप को घटाकर छह महीने करने के पक्ष में है ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को बूस्‍टर शॉट मिल सके। आइए समझते हैं कि बूस्‍टर डोज पर गैप को एक्‍सपर्ट्स क्‍यों अनसाइंटिफिक बता रहे हैं।

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