बस एक घंटे का वक्त! युद्ध से पहले एयर इंडिया ने यूक्रेन से कैसे 242 भारतीय किए एयरलिफ्ट, पढ़िए पूरी कहानी

नई दिल्ली: यूक्रेन में जंग छिड़ चुकी है। रूस (Russia) की सेनाएं यूक्रेन की सीमा में दाखिल हो चुकी हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आक्रामक ऐक्शन से दुनियाभर में खलबली मच गई है। ऐसे माहौल में भारत ने अपने नागरिकों (Air India Ukraine) को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए एयर इंडिया का प्लेन (Air India flight AI1947) भेजा। यह ऑपरेशन इतना आसान नहीं था क्योंकि युद्ध के माहौल में ऐसे मुल्क में भारत का विमान लैंड करने वाला था, जहां ग्राउंड पर उसकी एयरलाइंस का एक भी स्टाफ नहीं होता है। ऐसे में प्लेन के लैंड होने के बाद फौरन स्वदेश के लिए रवानगी एक मुश्किल टास्क था और समय मिला था बस एक घंटे। आखिरी मिनटों में बदला रूट मंगलवार को एयर इंडिया 1947 फ्लाइट काला सागर क्षेत्र से यूक्रेन के एयरस्पेस में एंट्री करने वाली थी। कीव एयर कंट्रोल (ATR) ने आखिरी मिनटों में प्लेन के रूट में कुछ बदलाव कर दिए। कीव के बोरिस्पिल इंटरनैशनल एयरपोर्ट (Boryspil International Airport) की तरफ आ रहे प्लेन को निर्देश दिया गया कि आमतौर पर 60-80 नॉटिकल मील की दूरी को छोटा कर 40 nm किया जा रहा है। ATR ने भारतीय प्लेन के पायलट से पूछा कि उन्हें नए घटाए गए रूट से लैंडिंग में कोई दिक्कत तो नहीं है। ओके... और प्लेन एयरपोर्ट के करीब पहुंच गया। पांच पायलटों को लेकर यूक्रेन में उतरा 'महाराजा' सूत्रों ने बताया कि प्लेन उसी दिशा से आगे बढ़ा और एयर इंडिया बोइंग ड्रीमलाइनर 787 ने एयरपोर्ट पर सुरक्षित तरीके से लैंड किया। क्रू को पता था कि रूट में बदलाव आसमान में सैन्य ऐक्शन के कारण किया गया है। 'महाराजा' पांच पायलटों के साथ यूक्रेन की धरती पर उतरा था क्योंकि बिना समय गंवाए प्लेन को भारत के लिए उड़ान भरना था। यह वक्त किसी भी तरह से आराम करने का नहीं था। 18 क्रू मेंबर, तीन इंजीनियर और दो सुरक्षाकर्मियों को देखते ही वहां खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे 242 भारतीयों के चेहरे पर मुस्कान छा गई। वे बड़ी बेसब्री से एयरपोर्ट पर भारतीय विमान का इंतजार कर रहे थे। फौरन उतरे क्रू मेंबर और... कुछ ही मिनट में क्रू मेंबर और अन्य स्टाफ ने तेजी से अपना काम शुरू कर दिया। वे नीचे उतरे और अपने-अपने काम में लग गए। सबके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि एक घंटे में ही वापस होना है। पायलटों ने निगरानी शुरू की, जिससे सामानों को ऐसे रखा जाए कि सेंटर ऑफ ग्रैविटी बनी रहे। सुरक्षाकर्मी जांच के लिए सीढ़ी के पास तैनात हो गए। केबिन क्रू लोगों को सीट पर बैठाने में जुट गया। अलग-अलग निर्देश दिए जाने लगे। दरअसल, कीव ऐसा शहर है, जहां के लिए एयर इंडिया की उड़ानें नहीं होती हैं। ऐसे में वहां उसका कोई ग्राउंड स्टाफ भी नहीं होता है। ग्राउंड पर कामकाज में मदद के लिए एक बाहरी टीम को हायर किया गया, जिसकी निगरानी एयर इंडिया के स्टाफ ने की, जो बोइंग 787 (VT-NAA) से गया था। सूत्रों ने बताया कि कीव में ग्राउंड स्टाफ 1 घंटे और करीब 10-15 मिनट के लिए था। समय तेजी से निकला जा रहा था और आशंका यह थी कि कहीं दिल्ली के लिए वापस जाने वाली AI 1946 फ्लाइट Boryspil एयरपोर्ट पर अपना निर्धारित समय मिस न कर दे। यह भी आशंका थी कि पायलटों के अधिकतम फ्लाइट ड्यूटी की समयसीमा का उल्लंघन न हो। हालांकि एआई 1946 फ्लाइट एक घंटे के भीतर ही स्वदेश के लिए उड़ चली थी। प्लेन में बैठे लोगों के चेहरों पर सुकून साफ दिखाई दे रहा था। कुछ घंटे में वे अपने वतन पहुंचने वाले थे। अब भी फंसे हैं कुछ भारतीय हालांकि अब भी बड़ी संख्या में भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए हैं। गुरुवार को जंग छिड़ने की खबर मिलते ही भारत से लोगों ने अपने परिजनों से संपर्क किया तो बताया गया कि वहां के कुछ शहरों के लोगों को बंकर में ले जाया गया है। भारत से बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाते हैं। उत्तराखंड के रहने वाले एक परिवार ने बताया कि उनका बेटा 26 फरवरी को वापस आने वाला था। फिलहाल वह यूक्रेन में फंसा हुआ है। NOTAM पर आधे रास्ते से लौट रही फ्लाइट इस बीच, खबर है कि यूक्रेन जा रही एयर इंडिया की एक और फ्लाइट AI 1947 दिल्ली वापस आ रही है। बताया गया है कि कीव, यूक्रेन में एयर मिशन की रिपोर्ट पर यह फैसला लिया गया। दरअसल, NOTAM एक अमेरिकी शब्द है, यह एविएशन सेक्टर में ऐसे समय में इस्तेमाल होता है जब किसी तरह का खतरा हो और एयरक्राफ्ट के पायलटों को अलर्ट करना हो।


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