पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान पर बवाल, समझिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा

नई दिल्ली: भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति ( Hamid Ansari) का अमेरिका में () में देश में असहिष्णुता बढ़ने और हिंदू राष्ट्रवाद को खतरनाक बताने के बाद भारत में बवाल मचा है। अंसारी के बयान के बाद उनका देश में विरोध हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई अंसारी ने जो बातें कही हैं वो भारत के संदर्भ में सही हैं या फिर उनका मकसद केवल विवाद पैदा करना था। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी नजमुल हुडा (Najmul Hoda) ने इस बारे में लिखा है। उन्होंने लिखा है कि भारत को आजकल एक नए काल्पनिक चीज का सामना करना पड़ रहा है और वह है ''। हुडा ने लिखा है कि अंसारी से ये पूछा जाना चाहिए क्या उन्हें ऐसे कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए। उन्होंने आगे लिखा है कि क्या भारतीय राष्ट्रवाद अपने आप में सांस्कृतिक है या सिविक? हालांकि ये कहना कि भारतीय राष्ट्रवाद सांस्कृतिक नहीं है यह भारतीय नेशनहुड से इनकार करना और इसे एक भौगोलिकता में शामिल करना जैसा होगा। जैसाकि अंग्रेजो ने किया था। आज भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को राष्ट्र से अलग करके नकारा जा रहा है। इसके जरिए देश को केवल एक राजनीतिक तत्व में बिना राष्ट्रीय या सांस्कृतिक आधार के रूप में दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में अलग-अलग भाषाएं, सामाजिक रीति-रिवाज, धर्म होने का ये मतलब नहीं है कि यहां सांस्कृतिक रूप रेखा नहीं है। हिमालय से लेकर सामुद्रिक सीमा तक और सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर आज के भारत तक ये अनेकता रही है। पर सवाल है कि क्यों कुछ लोग भारत की सांस्कृतिक अनेकता से खुद को जोड़ नहीं पा रहे हैं। जबकि हकीकत तो ये है कि सत्य एक ही है। 'एकम सत विप्रा बुद्धा वेदांत।' (सच एक होता है लेकिन बुद्धिमान लोग इसे अलग-अलग नामों से बुलाते हैं)। भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को नकारने का एक बड़ा कारण है। मुस्लिम विजेताओं ने नस्लीय श्रेष्ठता और धर्म के नाम पर शासन करने के लिए अपना आधार बनाया था। दोनों एक-दूसरे को बल देते थे। जहां तक भारत में रहने वाले मुस्लिमों का सवाल है तो उन्हें अपनी मान्यताओं को मानने के लिए छोड़ देना चाहिए। हालांकि, अपनी सांस्कृतिक जड़ों को फिर से हासिल करने के लिए उन्हें अपनी अस्मिता खोने और आत्म-अलगाव में जाने के भय को छोड़ना होगा। हामिद अंसारी का पूरा बयान जान लीजिए दरअसल, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अमेरिका में इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के एक प्रोग्राम में हिंदू राष्ट्रवाद को खतरनाक बताया था। उन्होंने कहा, 'हिंदू राष्ट्रवाद चिंता की बात है। देश में लोगों को धर्म के आधार पर बांटा जा रहा है। राष्ट्रीयता को लेकर लोगों के बीच विवाद पैदा किया जा रहा है। खासकर एक खास मजहब के लोगों को उकसाया जा रहा है। असहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है और देश में असुरक्षा का माहौल पैदा किया जा रहा है।' हामिद अंसारी ने गणतंत्र दिवस पर इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की ओर से आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में यह विवादित बयान दिया। उन्‍होंने हिंदू राष्‍ट्रवाद के उभार को लेकर चिंता जताई। हामिद अंसारी ने कहा, 'हाल के वर्षों में हमने ऐसे ट्रेंड्स का उभार और वैसे व्‍यवहार देखे हैं जो पहले से स्‍थापित नागरिक राष्‍ट्रवाद के खिलाफ हैं और ये सांस्‍कृतिक राष्‍ट्रवाद की काल्‍पनिक व्‍यवस्‍था को लागू करते हैं।' अंसारी ने यह भी दावा किया, 'यह वर्तमान चुनावी बहुमत को धार्मिक बहुमत के रूप में पेश करते हैं और राजनीतिक शक्ति पर एकाधिकार करना चाहते हैं। उन्‍होंने कहा कि ऐसे लोग चाहते हैं कि नागरिकों को उनकी आस्‍था के आधार पर अलग-अलग कर दिया जाए और असुरक्षा को बढ़ावा दिया जाए।


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