चीन-पाकिस्तान की जुगलबंदी से कैसे निपटेगी सेना! डिफेंस सेक्टर के लिए क्या है सीतारमण के पिटारे में

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) मंगलवार एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट (budget 2022) पेश करेंगी। पाकिस्तान (Pakistan) और चीन (China) के बीच बढ़ता गठजोड़ भारत के लिए खतरे का संकेत है। चीन ने केवल भारतीय सीमा पर अपनी पोजीशन लगातार मजबूत कर रहा है बल्कि पाकिस्तान को भी बड़ी मात्रा में हथियार दे रहा है। इस तरह भारतीय सेना को एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है। इसे देखते हुए देश के रक्षा बजट (defence budget) में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। 21वीं सदी में रक्षा क्षेत्र की जरूरतें काफी बदल गई हैं। सेना के तीनों अंगों की ज्यादातर मशीनरी पुरानी पड़ चुकी हैं। नए हथियारों की खरीद फरोख्त के लिए सेना को बड़े बजट की जरूरत है। भारत अपनी कुल जीडीपी का करीब दो फीसदी हिस्सा डिफेंस पर खर्च करता है। वित्त वर्ष 2021-22 में उसका रक्षा बजट तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट था। लेकिन सेना को मॉडर्नाइजेशन की जरूरत है। रक्षा बजट में क्यों चाहिए बढ़ोतरी 2018 में थलसेना के तत्कालीन उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने रक्षा पर संसद की स्थाई समिति को बताया था कि किसी भी आधुनिक सशस्त्र बल के एक तिहाई उपकरण पुराने होने चाहिए, एक तिहाई आधुनिक होने चाहिए और एक तिहाई अत्याधुनिक होने चाहिए। लेकिन भारत के मामले में सच्चाई इसके उलट है। आज भारत में 68 फीसदी उपकरण पुराने हैं, 24 फीसदी आधुनिक हैं और केवल आठ फीसदी आधुनिक हैं। इससे समझा जा सकता है कि भारतीय के रक्षा बजट में बढ़ोतरी की कितनी जरूरत है। भारत रक्षा साजोसामान का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। कहा जाता है कि जो देश डिफेंस इक्विपमेंट के आयात पर निर्भर रहता है, वह कभी भी मजबूत नहीं बन सकता है। इसलिए देश के आत्म सम्मान के लिए डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनना बहुत जरूरी है। हाल में सरकार ने कई रक्षा सौदों पर मुहर लगाई है, लेकिन दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना के लिए इतने इंतजाम अब भी नाकाफी हैं। चीन-पाकिस्तान से खतरा पिछले साल सरकार ने रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये का रखा था। इससे पहले साल 2020-2021 में यह बजट 4.71 लाख करोड़ रुपये का था। चीन से सीमा पर बढ़ रहे तनाव के मद्देनजर रक्षा बजट में खासी बढ़ोतरी का अंदाजा लगाया गया था। लेकिन सरकार ने इसमें मात्र 1.4 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। देश के रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों की पेंशन और वेतन में ही चला जाता है। इसके बाद बची रकम से सेना की सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्यों में आतंक को बढ़ावा देकर भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों में लगा हुआ है। चीन भी भारत को चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल चीन का डिफेंस बजट 209 अरब डॉलर का था जो भारत से चार गुना अधिक है। ऐसे में भारतीय सेना को दोनों मोर्चों पर दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए सेना का भारीभरकम बजट की जरूरत है।


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