राहुल के सामने सिद्धू का बड़ा शॉट, गेंद हवा में और हर पॉइंट पर फील्डर मौजूद, कैच आउट हुए तो टीम खतरे में

हाल ही में नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का एक वीडियो वायरल हुआ। वो मंच पर सिक्सर लगाने के अंदाज में पोज देते नज़र आए। विपक्ष को संदेश दे रहे थे। कैसे आम आदमी पार्टी, अकाली दल और कैप्टन अमरिंदर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वो पंजाब की राजनीति में बाउंड्री लाइन से बाहर फेंक देंगे। कभी टीम इंडिया के तूफानी सलामी बल्लेबाज रहे नवजोत सिंह सिद्धू दोस्ताना मैच भी खेलते हैं। फिलहाल तो पिछले 7-8 महीनों से खेल रहे हैं। अपनी ही पार्टी के अंदर। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) को सीमा रेखा से पार पहुंचाया। फिर एक और सिक्सर लगाने की कोशिश की। गेंद सीमा रेखा से पहले गिरी पर फिल्डर नहीं था। इसलिए चौका लग गया और उन्हें पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के अध्यक्ष पद से संतोष करना पड़ा। रोमांच से भरपूर इस मैच को चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने मामूली अंतर से जीत लिया। वो सिर्फ एक साल के लिए चीफ मिनिस्टर बन गए। अब सिद्धू अगली पारी में चूक न हो, इसकी प्रैक्टिस कर रहे हैं। अपने सुप्रीम कप्तान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के सामने 27 जनवरी को उन्होंने कुछ शॉट्स लगाए। इससे राहुल गांधी प्रभावित भी दिखे। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा चुनावी मैदान में हार और जीत का फैसला दो बातों से होता है। चेहरा कौन है और मुद्दे क्या हैं। इसलिए आपको चीफ मिनिस्टर फेस (Punjab Next Chief Minister) बताना चाहिए।

Punjab Assembly Election 2022 : राहुल गांधी ने पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा दांव खेला है। नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की डिमांड पर उन्होंने कहा कि वह अगले सीएम का फेस जल्दी ही तय कर लेंगे। राहुल गांधी ने खुद ही अपने लिए दोधारी तलवार चुन ली है। कैसे, हम ये बताने की कोशिश करेंगे।


Punjab Election : राहुल के सामने सिद्धू का बड़ा शॉट, गेंद हवा में और हर पॉइंट पर फील्डर मौजूद, कैच आउट हुए तो टीम खतरे में

हाल ही में नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का एक वीडियो वायरल हुआ। वो मंच पर सिक्सर लगाने के अंदाज में पोज देते नज़र आए। विपक्ष को संदेश दे रहे थे। कैसे आम आदमी पार्टी, अकाली दल और कैप्टन अमरिंदर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वो पंजाब की राजनीति में बाउंड्री लाइन से बाहर फेंक देंगे। कभी टीम इंडिया के तूफानी सलामी बल्लेबाज रहे नवजोत सिंह सिद्धू दोस्ताना मैच भी खेलते हैं। फिलहाल तो पिछले 7-8 महीनों से खेल रहे हैं। अपनी ही पार्टी के अंदर। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) को सीमा रेखा से पार पहुंचाया। फिर एक और सिक्सर लगाने की कोशिश की। गेंद सीमा रेखा से पहले गिरी पर फिल्डर नहीं था। इसलिए चौका लग गया और उन्हें पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के अध्यक्ष पद से संतोष करना पड़ा। रोमांच से भरपूर इस मैच को चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने मामूली अंतर से जीत लिया। वो सिर्फ एक साल के लिए चीफ मिनिस्टर बन गए। अब सिद्धू अगली पारी में चूक न हो, इसकी प्रैक्टिस कर रहे हैं। अपने सुप्रीम कप्तान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के सामने 27 जनवरी को उन्होंने कुछ शॉट्स लगाए। इससे राहुल गांधी प्रभावित भी दिखे। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा चुनावी मैदान में हार और जीत का फैसला दो बातों से होता है। चेहरा कौन है और मुद्दे क्या हैं। इसलिए आपको चीफ मिनिस्टर फेस (Punjab Next Chief Minister) बताना चाहिए।



​कौन है कांग्रेस में चीफ सिलेक्टर ?
​कौन है कांग्रेस में चीफ सिलेक्टर ?

अव्वल तो ये कि कांग्रेस के भीतर पता नहीं चल पाता हेड कोच या चीफ सिलेक्टर कौन है जो कैप्टन तय करेगा। आधिकारिक तौर पर सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी तो साधारण कार्यकर्ता हैं। ये बात उन्होंने खुद कही थी। अभी भी उनके ट्विटर प्रोफाइल पर जाएं तो वो खुद को कांग्रेस पार्टी का सदस्य मानते हैं। अब ये समझ से परे है कि राहुल जज की भूमिका में कैसे हैं। खैर ये तकनीकी पहलू है। सबको पता है कि पर्दे के पीछे क्या चल रहा है। लिहाजा उन्होंने सिद्धू को सुना। फिर चरणजीत सिंह चन्नी आए। पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री। उन्होंने सिद्धू को बड़ा भाई बताते हुए राहुल से कहा कि वो जिसे भी तय करेंगे सर्वमान्य होगा। अब राहुल गांधी फंस गए। वैसे पंजाब में उनके चरण पड़ने से पहले और पड़ते दोनों ही स्थितियों में अजीबोगरीब परिस्थिति कांग्रेस की हुई। यही राहुल पंजाब में कांग्रेस सरकार की दोबारा वापसी का शंखनाथ मोगा की रैली से करने वाले थे। तीन जनवरी को। इससे ठीक दो दिन पहले अचानक निजी कारणों से विदेश चले गए। रैली स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस के लिए फजीहत वाली स्थिति हो गई। फिर अचानक जब पहुंच गए तो पांच सांसदों की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी। इनमें मनीष तिवारी का नाम भी आया जो संगठन में पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य बदलावों के लिए संघर्ष कर रहे जी-23 का हिस्सा हैं। हालांकि आनन-फानन में डैमेज कंट्रोल करते हुए कांग्रेस ने मीडिया को बताया कि बैठक में सिर्फ 117 उम्मीदवारों को बुलाया गया था, सांसदों को नहीं।



​कैसे होगा सीएम फेस का चुनाव?
​कैसे होगा सीएम फेस का चुनाव?

राहुल गांधी जब मंच पर पहुंचे तो उन्होंने बड़ा ऐलान कर दिया। जल्दी ही बताएंगे कि हम किसके चेहरे के साथ चुनाव में उतर रहे हैं। जो भी चेहरा होगा उसका सभी समर्थन करेंगे। तालियों की गड़गड़ाहट से इसका स्वागत हुआ। राहुल ने कहा कि कार्यकर्ताओं से पूछ कर ये तय किया जाएगा। अब तो समय भी नहीं बचा है। 20 फरवरी को पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। अरविंद केजरीवाल ने तो भगवंत मान को सीएम का चेहरा फोन लाइन से जनमत संग्रह लेकर किया। राहुल गांधी कैसे करेंगे। क्या फोन लाइन से या फिर पंजाब कांग्रेस कार्यकारिणी सदस्यों के गुप्त मतदान से। नवजोत सिंह सिद्धू और चन्नी के बीच तकरार में राहुल अब फंस गए हैं। इससे निकलना मु्श्किल है।



​चन्नी से कन्नी तो लेने के देने
​चन्नी से कन्नी तो लेने के देने

गौर फरमाइए अगर नवजोत सिंह सिद्धू सिक्सर मार भी देते हैं तो पार्टी का क्या होगा। जिस चरणजीत सिंह चन्नी को पहला दलित सिख मुख्यमंत्री बताकर कांग्रेस ने चुनाव वाले बाकी पांच राज्यों में भी संदेश देने की कोशिश की उस मैसेज का क्या होगा। पंजाब की राजनीति मालवा से तय होती है जहां विधानसभा की 117 में 69 सीटें मालवा हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने क्षेत्र में 40 सीटें जीती थीं। दूसरे अहम क्षेत्र माझा और दोआब को माना जाता है। माझा में 25 विधानसभा सीटें हैं तो दोआब में 23 विधानसभा सीटें आती हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने माझा की 22 सीटों और दोआब की 15 सीटों पर जीत हासिल की थी। मालवा क्षेत्र में 7 लोकसभा सीटें हैं। इनमें फिरोजपुर, फरीदकोट, बठिंडा, लुधियाना, संगरूर फतेहगढ़ साहिब और पटियाला शामिल हैं। समझने वाली बात यह है कि डेरा का सबसे ज्यादा प्रभाव मालवा में ही है। एक अनुमान के अनुसार, क्षेत्र के 13 जिलों में करीब 35 लाख डेरा प्रेमी हैं। उसमें भी खास बात यह है कि दलित सिख ही इनमें ज्‍यादा जाते हैं। यही बात चन्‍नी को फेवरेबल बना देती है। डेरा प्रेमी का एकमुश्‍त वोट किसी भी दल का गणित बिगाड़ सकता है। सिद्धू सिख जट हैं जिनकी आबादी भी ज्यादा है लेकिन उनकी डिमांड लिस्ट और बात मनवाने की शैली से आलाकमान परेशान है। पर राहुल गांधी का झुकाव उनकी तरफ है, इसे भी सब जानते हैं। ये तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद छोड़ने के बाद बता ही दिया था।



​भगवंत मान-अकालियों की फील्डिंग
​भगवंत मान-अकालियों की फील्डिंग

इस बार अरविंद केजरीवाल भी मालवा में जोर लगा रहे हैं। भगवंत मान सीए फेस बन चुके हैं। मालवा में उनका वोटर उनके साथ है। अगर कांग्रेस चन्नी के अलावा कोई फेस देती है तो मालवा का गणित बिगड़ सकता है। वैसे भी अकाली इस बार मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ मैदान में हैं। कांशीराम के प्रभाव वाले इस इलाके में अकाली-बसपा गठबंधन को दलित वोट मिलने की आस है। उधर भगवंत मान जाट सिख हैं और अपने वोट बैंक के अलावा मैनिफेस्टो के बूते सभी तबकों में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में अगर राहुल गांधी ने चन्नी से किनारा किया तो दलित सिथ कांग्रेस को छोड़ उस तरफ जा सकता है जिसके जीतने की संभावना सबसे ज्यादा होगी। जब चन्नी को सीएम बनाया गया था तभी से माहौल पैदा किया गया कि उसी के चेहरे में अगला चुनाव लड़ा जाएगा। खुद कांग्रेस ने ऐसी हवा बनाई। पर सिद्धू ने डीजीपी-एडीजी से लेकर कई मुद्दों पर चन्नी से भी नाराजगी जता दी। मजबूरन ऐसे फैसले लेने पड़े जिनसे लगा कि सरकार सिद्धू ही चला रहे हैं।



नवजोत सिंह सिद्धू की टाइमिंग
नवजोत सिंह सिद्धू की टाइमिंग

अब सिद्धू की टाइमिंग देखिए। शॉट्स लगाने की टाइमिंग। उन्होंने सीएम फेस का मुद्दा ऐसे समय छेड़ा जब चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपेंद्र सिंह ईडी की रडार पर हैं। 10 करोड़ रुपए नकद मिलने की खबरें आई थीं। चन्नी इस पर सफाई देते फिर रहे हैं। और सिद्धू समय देख रहे हैं। दांव तो सुखजिंदर सिंह रंधावा अगल आलाप छेड़ रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा कि चन्नी ही सीएम फेस हों और सिद्धू को हटाकर उन्हें अध्यक्ष बना दिया जाए। अब रंधावा पर आरोप है कि डिप्टी सीएम होने के नाते उन्होंने अपने दामाद को एडिशनल एडवोकेट जनरल बना दिया। सुनील जाखड़ भी कतार में हैं। सिद्धू लगातार ड्रग्स माफिया और बेअदबी के भावुक मुद्दों पर खेल रहे हैं। राहुल गांधी के साथ दरबार साहिब में उनकी मौजूदगी से साफ लग रहा था कि चन्नी के मुकाबले वो राहुल के ज्यादा करीब दिखना चाहते हैं।



​कैच आउट हुए तो पंजाब हारेगी कांग्रेस
​कैच आउट हुए तो पंजाब हारेगी कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी सीएम फेस बताकर एक और परिपाटी और परेशानी को जन्म दे सकती है। राहुल गांधी इसके लिए जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं। जब मध्य प्रदेश के चुनाव हुए तो सामूहिक नेतृत्व के नाम पर। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कमलनाथ भारी पड़े और सीएम बना दिए गए। राजस्थान में पांच साल तक बतौर अध्यक्ष मेहनत करने वाले सचिन पायलट डिप्टी सीएम बनाए गए और गद्दी अशोक गहलोत को मिली। पंजाब में भी अंदरखाने यही चल रहा था कि चुनाव परिणाम तक कोई फेस सामने न लाया जाए ताकि भितरघात रोका जा सके और रिजल्ट के बाद अगर बहुमत मिले तब चन्नी को सीएम बनाया जाए। पर सिद्धू ने ओपनिंग कर इस मुद्दे को उठा दिया। दरअसल पिछले चुनाव में बेहद कमजोर लग रही कांग्रेस ने कैप्टन पर भरोसा जताया था। ये सबको पता है कि पंजाब में कैप्टन ने अपने बूते कांग्रेस को जीत दिलाई। ऐसा चेहरा न तो सिद्धू का है न ही चन्नी का। ऐसे में राहुल ने अपने लिए ही बड़ी चुनौती मोल ले ली है। सिद्धू ने भले बड़ा शॉट खेला हो पर गेंद सीमा रेखा के पीछे गिर सकती है। खतरा सिद्धू के आउट होने से ज्यादा टीम की हार का है। केजरीवाल, कैप्टन अमरिंदर और बादल जैसे दमदार फील्डर हर पॉइंट पर आँखें जमाए मुस्तैद हैं।





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