74 साल बाद पाकिस्तान में पुरखों के गांव जा रहे सिका खान, करतारपुर में भाई से हुई थी मुलाकात
नई दिल्ली: भारत में रहने वाले हबीब खान उर्फ शेला (सिका खान) () के लिए इससे बड़ी खुशखबरी नहीं हो सकती है। हाल में 74 साल बाद वह करतारपुर साहिब कॉरिडोर (Kartarpur Sahib Corridor) में पाकिस्तान में रह रहे अपने बड़े भाई से मिले थे। अब उन्हें अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए पाकिस्तान जाने का वीजा मिल गया है। शुक्रवार को सिका खान को वीजा मिला। दोनों भाई भारत-पाकिस्तान बंटवारे (India-Pakistan Partition) में एक-दूसरे से अलग हो गए थे। खान के पाकिस्तान में रह रहे भाई का नाम मुहम्मद सिद्दीक है। सिका खान पंजाब में बठिंडा जिले के फुलेवाला गांव के रहने वाले हैं। हाल में भाइयों के मुलाकात की तस्वीरों ने दोनों देशों के लोगों के दिलों को छू लिया था। 80 साल के मुहम्मद सिद्दीक पाकिस्तान के फैसलाबाद शहर में रहते हैं। वो बंटवारे के वक्त अपने परिवार से अलग हो गए थे। करतारपुर कॉरिडोर में इतने लंबे अरसे बाद एक दूसरे को देख दोनों की आंखें भर आई थीं। वो भावुक होकर गले मिले थे। इसी मुलाकात में ही सिका खान को यह भी पता चला था कि जन्म के समय उनका नाम हबीब खान रखा गया था। दोनों भाइयों ने 2019 में वीडियो कॉल के जरिये पाकिस्तान स्थित YouTube चैनल पंजाबी लहर के प्रयासों के कारण एक-दूसरे के साथ संपर्क किया। उसने उनकी कहानी को उजागर किया। शुक्रवार को नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग ने खान को सीमा पार अपने भाई और परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने के लिए वीजा दिया। सोशल मीडिया पर खूब हुई थी चर्चा सोशल मीडिया पर इन दोनों भाइयों के मुलाकात का वीडियो भी खूब शेयर हुआ था। इसमें दोनों अपने-अपने रिश्तेदारों के साथ करतारपुर कॉरिडोर में दिखाई दे रहे थे। मुलाकात के दौरान दोनों भाई एक दूसरे को भावुक होकर गले लगाते नजर आए थे। इस वीडियो में परिवार के अलावा गुरुद्वारा प्रबंधन के अधिकारी भी नजर आ रहे थे। करतारपुर कॉरिडोर के बारे में भारत में पंजाब के डेरा बाबा नानक से पाक सीमा तक कॉरिडोर का निर्माण किया गया है और वहीं पाकिस्तान में भी सीमा से नारोवाल जिले में गुरुद्वारे तक कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। इसी को करतारपुर साहिब कॉरिडोर कहा गया है। करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। यह भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से तीन से चार किलोमीटर दूर है और लाहौर से करीब 120 किलोमीटर दूर है। यह सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था और यहीं पर उनका निधन भी हुआ था। ऐसे में सिख धर्म में इस गुरुद्वारे के दर्शन का बहुत अधिक महत्व है।
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