ब्लॉगः इकॉनमी पटरी पर लौट तो रही है, लेकिन खपत की कमी अभी भी बड़ी समस्या बनी हुई है
भारत विश्व की सबसे तेज चलने वाली अर्थव्यवस्था बन चुकी है, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं। हमारी परिस्थिति उस व्यक्ति जैसी है, जो पहाड़ से नीचे गिरने के बाद फिर से पहाड़ पर सबसे तेज चढ़ रहा होता है। ऐसी चढ़ाई को तेज विकास नहीं बल्कि तेज क्षतिपूर्ति कहना चाहिए। ऐसा भी कहा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था बीमारी से सबसे तेजी से निकल रही है। लेकिन बीमारी से निकलने वाले को दौड़ में अव्वल नहीं कहा जा सकता। तमाम आकलनों के अनुसार, इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग नहीं है। रिजर्व बैंक ने भी कहा है कि डिमांड कमजोर है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि घरेलू खपत को बढ़ाना जरूरी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ने कहा है कि 2019-20 में जीडीपी में 6.2 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन खपत में 7.2 प्रतिशत की। यानी फैक्ट्रियां माल बना कर स्टॉक कर रही हैं। मांग का अभाव है। एशियन डिवेलपमेंट बैंक ने भी कहा है कि बाजार में मांग असल में सरकारी प्रशासन और रक्षा के क्षेत्रों में उत्पन्न हो रही है। इनके अनुसार भी जनता की खपत कमजोर है।
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