मेरे सामने ही उस 14-15 साल की बेटी की मौत हो गई.... चश्मदीद ने बताया वैष्णो देवी में भगदड़ का मंजर
जम्मू/नई दिल्ली नए साल पर वे माता का आशीर्वाद लेने के लिए वैष्णो देवी पहुंचे थे। वैष्णो देवी भवन खचाखच भरा हुआ था। भीड़ हजारों में थी। कुछ चश्मदीदों की मानें तो यह 3 लाख तक थी। दुनिया जब नए साल के जश्न में डूबी थी, उसी दौरान आधी रात के बाद जयकारों का उद्घोष मातम की चीख-पुकार में बदल गया। वैष्णो देवी परिसर में आधी रात के बाद कुछ ऐसा हुआ जो श्रद्धालुओं ने इससे पहले कभी नहीं देखा था। भीड़ के भयानक रेले के बीच भगदड़ मची और 13 लोग पिस गए। अधिकतर जवान हैं। एक चश्मदीद ने जो बताया, वह रोंगटे खड़े करता है। रात के खौफ को बयां करते हुए उसने बताया कि कैसे करीब 14 साल की बच्ची ने उनकी आंखों के सामने दम तोड़ दिया। माता के भवन से श्रद्धालु इस बार बेहद दर्दनाक यादों के साथ लौट रहे हैं। मंदिर में व्यवस्था को लेकर भारी गुस्सा है। कटरा लौट रहे एक चश्मदीद ने इसे बयां किया। उन्होंने बताया, 'प्रशासनिक व्यवस्था बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। श्रद्धालुओं की लाइन को दो भागों में बांटा नहीं गया था। सभी को एक साथ आने-जाने दिया जा रहा था। इससे भगदड़ मच गई। जाने वाले लोग जल्दबाजी में होते हैं। वे कहीं से भी निकलने के चक्कर में थे। इसने स्थिति को बिगाड़ दिया। मैंने ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा था।' 'मैंने 14-15 साल की बेटी को भीड़ में पिसते देखा' वैष्णो देवी से लौट रहे एक अन्य श्रद्धालु भी ऐसी खौफनाक यादों के साथ लौट रहे थे, जो वह जीवन में कभी भूल नहीं पाएंगे। उन्होंने बताया कि वह 20 साल से माता के दर्शनों के लिए आ रहे हैं, लेकिन जीवन में उन्होंने न तो ऐसी भीड़ देखी और न ही ऐसा खौफनाक मंजर। उन्होंने बताया, 'मैं 31 दिसंबर के आसपास माता के दर्शनों के लिए करीब 20 साल से आ रहा हूं। ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा। इतनी भीड़ मैंने कभी नहीं देखी। उस घटना को देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं। एक 14-15 साल की बेटी की मौत हो गई। यह हुआ सिर्फ इस वजह से कि वहां पुलिसकर्मी कम थे। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उसको कंट्रोल कर पाना बहुत मुश्किल था। सीआरपीएफ के जवानों ने बहुत विनम्रता से सबको हैंडल किया हुआ था, लेकिन स्थिति कैसे बिगड़ती चली गई पता ही नहीं चला। एकदम से काफी सारे लोग पिस गए। हम उस समय दर्शन कर चुके थे। काफी लोग तो बिना दर्शन किए ही लौट गए।' 'यात्रियों को जानबूझकर मरवाया गया है' इस भगदड़ में बची महिला बेहद गुस्से में थी। उन्होंने उस मंजर को बयां करते हुए बताया, 'वहां कोई भी नहीं था... इतनी जनता नहीं मरती वहां पर... आखिर इतनी जनता को एक साथ क्यों जाने दिया गया। नियम के साथ क्यों नहीं भेजा थोड़ा-थोड़ा करके... जानबूझकर मरवाया है यात्रियों को।' 'वहां ढाई से तीन लाख लोग जमा थे' इस घटना से दर्शन के लिए पहुंच यात्रियों में भारी गुस्सा है। एक चश्मदीद ने बताया, 'ज्यादा लोग इकट्ठा हो गए थे वहां। फिर हो हल्ला हुआ। पुलिस ने कोई लाठीचार्ज नहीं किया था। अफरातफरी से स्थिति बिगड़ी। लोगों ने हल्ला किया, इसके बाद भगदड़ मच गई। हम लोग दर्शन वाली लाइन में थे। हम हर साल 31 दिसंबर को दर्शन के लिए आते हैं। वहां करीब ढाई से तीन लाख लोग रहे होंगे। रात में भगदड़ दो हिस्सों में हुई। पहली वाली में सब ठीक था। लेकिन दूसरी में कई की जानें चली गईं।' 'यात्रियों को नीचे ही क्यों नहीं रोका गया' श्रद्धालु इस बात से भी हैरान हैं कि भीड़ को परिसर में बढ़ने क्यों दिया गया। जब श्रद्धालुओं की संख्या मंदिर परिसर में बढ़ती ही जा रही थी, तो उन्हें नियंत्रित क्यों नहीं किया गया। एक चश्मदीद ने बताया, 'नए साल पर क्या स्थिति रहती है, यह सभी को पता होता है। फिर यह स्थित क्यों बिगड़ी। पब्लिक जब इतनी आती है, तो पहले तो भीड़ को रोकने का इंतजाम करना चाहिए। यह सब तीन बजे ही क्यों किया गया, जब हादसा हो गया।' एक श्रद्धालु ने कहा कि भगदड़ में उनका पैर भी लहूलुहान हो गया। उन्होंने सवाल किया जिस पिलर पर लोग लदे हुए थे, वह गिर जाता तो क्या हालत होती।
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