Padma Shri: पेड़-पौधे लगाकर लोगों को स्वस्थ रहने में मदद कर रही तुलसी गौड़ा को इस वजह से मिला पद्मश्री अवार्ड
नई दिल्ली Padma Shri Award: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल में पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया। राष्ट्रपति ने कर्नाटक की महिला तुलसी गौड़ा को पद्म श्री अवार्ड दिया। कर्नाटक की आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा पिछले छह दशक से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। अब तक वे 30,000 से अधिक पौधे लगा चुकी हैं। पिछले साल कोरोना संकट के दौर में देश के लोगों को अपने शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तुलसी, अदरक, काली मिर्च और गिलोई आदि का सही महत्व समझ आया था। बहुत से लोगों ने कोरोना संकट की अवधि में इन चीजों से बना काढ़ा पीकर कोरोना वायरस से खुद को बचाने में सफलता हासिल की थी। इसके साथ ही ऑक्सीजन के संकट की वजह से लोगों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझ आया था। यह भी पढ़ें: तुलसी कर रही हैं लोगों की मदद लोगों से स्वास्थ्य के लिहाज से मददगार पौधे लगाकर तुलसी अपने इलाके में लोगों को बीमारियों से बचाने में प्रभावी भूमिका निभा रही हैं। पद्मश्री से पहले तुलसी को 'इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवार्ड, 'राज्योत्सव अवार्ड' और 'कविता मेमोरियल' जैसे कई पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। आज भी वे कई पौधों के बीज जमा करने के लिए खुद वन विभाग की नर्सरी तक जाती हैं और अगली पीढ़ी को भी यही संस्कार देना चाहती हैं। तुलसी गौड़ा ने कहा, "हम कई पौधों के बीज को जमा कर गर्मियों के मौसम तक उनका रखरखाव करते हैं और फिर जंगल में उस बीज को बोते हैं।" 60 साल से संभाल रही हैं पर्यावरण तुलसी गौड़ा कर्नाटक के होनाली गांव की रहने वाली हैं, जो कभी स्कूल नहीं गईं। उन्हें पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों का उन्हें ऐसा ज्ञान है कि उन्हें 'इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट' कहा जाता है। तुलसी गौड़ा पिछले 6 दशकों से पर्यावरण संरक्षण के काम में जुटी हुई हैं, इसलिए उन्हें पद्म सम्मान दिया गया है। पेड़-पौधों से तुलसी गौड़ा का रिश्ता दशकों पुराना है। 20 साल की उम्र में पेड़-पौधे अपनाए तुलसी बताती हैं कि उन्होंने 20 साल की उम्र में ही पेड़-पौधों को अपनी ज़िंदगी में शामिल कर लिया था। तुलसी गौड़ा ने कहा, "मैंने यहां तब काम करना शुरू किया, जब मैं 20 साल की थी। मेरी शादी शायद 12 साल की उम्र में हो गई थी, मुझे ठीक से याद नहीं है। जब 3 साल की थी, तभी पिता का देहांत हो गया था। सादगी की मूर्ति तुलसी गौड़ा ने कपड़े के नाम पर साधारण कपड़े पहने थे। गले में आदिवासी जीवनशैली से जुड़ी कुछ मालाएं थी। वह बिना चप्पल के यानि नंगे पैर पद्मश्री सम्मान लेने आईं थी। यह भी पढ़ें:
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