'एक बीमारी कटी, दूसरी पर बात करे सरकार', कृषि कानून वापसी बिल पास होने पर बोले राकेश टिकैत
नई दिल्ली भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता ने तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के लिए लोकसभा में विधेयक पास होने को सामान्य प्रक्रिया बताते हुए कहा कि इसकी खुशी क्या मनाएं जब हमारे 750 किसान आंदोलन के दौरान मर गए। उन्होंने कृषि कानूनों को बीमारी बताते हुए कहा कि अभी आंदोलन खत्म नहीं होगा और किसान अन्य समस्याओं के समाधान तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे। 4 दिसंबर को तय होगा आंदोलन का नया अजेंडा: टिकैत लोकसभा से विधेयक के पास होते ही संवाददाताओं ने टिकैत से कई सवाल किए जिनके जवाब में टिकैत ने कहा कि अब किसान संगठन चार दिसंबर को मीटिंग करेंगे और आंदोलन का अजेंडा नए सिरे से तय करेंगे। उन्होंने कहा, '4 दिसंबर के बाद आंदोलन की नई रूपरेखा तय होगी।' टिकैत से जब पूछा गया कि जब केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के मुताबिक विधेयक पास करवा दिया है तो क्या अब किसान सड़क खोलेंगे तो उन्होंने कहा, 'हमने सड़क खोल रखी है। मीडिया वालों को नहीं दिख रही है तो हम क्या करें?' उन्होंने कहा कि सड़क खोलने की जिम्मेदारी प्रशासन की है क्योंकि किसानों ने अपनी तरफ से सड़क घेर नहीं रखी है। टिकैत ने गिना दी मांगों की फेहरिस्त टिकैत ने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों की वापसी सुनिश्चित की है, लेकिन अभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत कई मुद्दे हैं जिन पर सरकार अब भी चुप है। उन्होंने कहा, '(कृषि कानून) एक बड़ी बीमारी थी, कट गई। दूसरी बीमारी है, उस पर भी बात हो। एमएसपी का एक बड़ा सवाल है, पॉल्युशन वाला है, 10 साल पुराना ट्रैक्टर का मसला है, इन सब पर बात करे। एमएसपी पर भी बात कर ले सरकार।' विपक्ष के शोर-शराबे का समर्थन लोकसभा में चर्चा नहीं हो पाई और कृषि कानूनों की वापसी का विधेयक ध्वनिमत से पास हो गया, इस पर टिकैत ने कहा कि इस पर अब क्या चर्चा होना? यह बीमारी थी जो हट गई, ठीक हुआ। उन्होंने विपक्ष के हंगामे का समर्थन करते हुए कहा, 'विपक्ष कह रहा था कि एमएसपी और किसानों के अन्य मुद्दों पर चर्चा हो। विपक्ष अगर एमएसपी की बात कर रहा है तो ठीक ही कर रहा है।'
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