अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस के अधिकार को लेकर राजद्रोह कानून की व्याख्या पर गौर करेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजद्रोह से संबंधित कानून की व्याख्या का ये समय है। अदालत ने तेलगू चैनल के खिलाफ देशद्रोह से संबंधित मामले में दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाते हुए उक्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट में दो तेलगु चैनल की ओर से दाखिल याचिका में उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह के केस को रद्द करने की गुहार लगाई गई है। कंटेप्ट की कार्रवाई होनी चाहिएसाथ ही अर्जी में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मामले में दिए आदेश में केस दर्ज करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी और कहा था कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कंटेप्ट का केस चलेगा। सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि उक्त आदेश के तहत कंटेप्ट की कार्रवाई भी होनी चाहिए। एफआईआर रद्द की जानी चाहिएसुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि एफआईआर रद्द की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पहली नजर में एफआईआर मीडिया के फ्रीडम को दबाने वाला लगता है। ये समय है जब देशद्रोह के लिमिट को तय किया जाए। राजद्रोह को परिभाषित करने की जरुरतअदालत ने कहा कि राजद्रोह की धारा-124 ए और दो समुदाय में नफरत फैलाने वाली धारा 153 ए के स्कोप को परिभाषित करने की जरूरत है। अदालत ने कहा कि मीडिया के फ्रीडम के संदर्भ में इन दोनों धाराओं को परिभाषित करने की जरूरत है। हमारा मत है कि इन दोनों ही धाराओं को व्याख्या करने की आवश्यकता है।
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