भारत पर रोहिंग्या शरणार्थियों की जिम्मेदारी थोपना चाहता है बांग्लादेश, मनमुटाव की आशंका

नई दिल्‍ली कॉक्‍स बाजार के रिफ्यूजी कैम्‍पों से भागे रोहिंग्‍या शरणार्थियों को वापस लेने से बांग्‍लोदश इनकार कर रहा है। इन शरणार्थियों में से अधिकतर महिलाएं हैं। भारत इसे बांग्‍लादेश की संवेदनहीनता की तरह देख रहा है और चाहता है कि वह इन लोगों को वापस ले। जबकि बांग्‍लादेश अपनी जिम्‍मेदारी भारत के सिर मढ़ना चाहता है। भारत ने बांग्‍लादेश को एक नोट जारी किया है मगर ढाका की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्‍लादेश की यात्रा करने वाले हैं, ऐसे में यह मुद्दा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक समस्‍या खड़ी कर सकता है। बांग्‍लादेश के विदेश मंत्री बोले, वे म्‍यांमार के लोगपिछले शनिवार, दोनों देशों के बीच गृह सचिव स्‍तर की बातचीत हुई थी। भारत ने मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बांग्‍लादेश इन शरणार्थियों को वापस ले। मगर बांग्‍लादेश के विदेश मंत्री एके अब्‍दुल मोमिन ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "वे बांग्‍लादेशी नागरिक नहीं हैं और तथ्‍य ये है कि वे म्‍यांमार के नागरिक हैं। वे बांग्‍लादेश की समुद्री सीमा से 1,700 किलोमीटर दूर मिले थे इसलिए उन्‍हें लेने की हमारी कोई जिम्‍मेदारी नहीं है।" जब मोमिन से यह पूछा गया कि क्‍या बांग्‍लादेश ने दुनियाभर के सभी रोहिंग्‍या लोगों को रखने और बसाने की जिम्‍मेदारी से पल्‍ला झाड़ लिया है तो उन्‍होंने कहा, "नहीं, ऐसा बिल्‍कुल नहीं है।" 81 में से 8 लोगों की मौत, एक समुद्र में कूदाबांग्‍लादेश के कॉक्‍स बाजार से एक नाव में सवार होकर 81 रोहिंग्‍या रिफ्यूजी जिनमें 64 महिलाएं और लड़कियां तथा 26 पुरुष और लड़के थे, 11 फरवरी को निकले थे। 15 फरवरी को नाव का इंजन फेल हो गया, तब से वे समुद्र में इधर-उधर भटक रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अनुराग श्रीवास्‍तव के अनुसार, भारत ने इन लोगों के लिए खाना और मेडिकल सहायता कोस्‍ट गार्ड्स के जरिए भिजवाई थी। 81 लोगों में से 8 की मौत भुखमरी और बेहद चुनौतीपूर्ण स्थितियों के चलते हो गई जबकि एक 'भाग' गया मतलब उसने नाव से छलांग लगा दी। सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह नाव थाईलैंड या मलेशिया की ओर जा रही थी। उनके मुताबिक, प्रथमदृष्‍टया महिलाओं और बच्‍चों की ज्‍यादा संख्‍या देखकर ऐसा लगता है कि इनकी तस्‍करी हो रही थी। UNHCR पर भी उठ रहे सवालश्रीवास्‍तव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हम समझते हैं कि नाव पर मौजूद 47 लोगों के पास बांग्‍लादेश के UNHCR ऑफिस से जारी आईडी कार्ड्स हैं जिनपर लिखा है कि वे विस्‍थापित म्‍यांमार नागरिक हैं और UNHCR के लिए बांग्‍लादेश की सरकार के साथ रजिस्‍टर्ड हैं।" इस घटना से UNHCR की गतिविधियों पर भी सवाल खड़े होते हैं जिसका जिम्‍मा शरणार्थियों की निगरानी का है, खासतौर से अगर तस्‍करी मकसद था। रोहिंग्‍या शरणार्थियों को नहीं संभाल पा रहा बांग्‍लादेशहो सकता है कि यह घटना इकलौती हो... यह भी संभव है कि यह किसी ट्रेंड की शुरुआत हो। तथ्‍य यही है कि बांग्‍लादेश से रोहिंग्‍या शरणार्थी संभाले नहीं जा पा रहे। 2017 में जब उन्‍हें म्‍यांमार से भगाया गया था तब बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनका स्‍वागत किया था। दुनिया ने पैसों से लेकर अन्‍य मामलों में बांग्‍लादेश की मदद की। भारत ने रिफ्यूजी कैम्‍पों के लिए पांच से ज्‍यादा बार मदद भेजी है। बांग्‍लादेश के सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, कॉक्‍स बाजार के रिफ्यूजी कैंम्‍पों की आबादी में हर साल 64,000 का इजाफा हो रहा है। म्‍यांमार ने उन्‍हें ये कहते हुए वापस लेने से मना कर दिया है कि वे बांग्‍लादेश मूल के हैं। चीन और भारत, दोनों ही म्‍यांमार को इसके लिए नहीं मना पाए हैं। पश्चिमी देशों ने म्‍यांमार पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं मगर इससे देश-प्रत्यावर्तन में मदद नहीं मिली है। अब बड़ी होती जा रही चुनौतीबांग्‍लादेश के सामने बड़ा संकट है। पहला संकट राजनीतिक है क्‍योंकि बांग्‍लादेशियों के बीच गुस्‍सा बढ़ता जा रहा है। दूसरा, शरणार्थियों के बीच कट्टरता बढ़ती जा रही है जो उन्‍हें पाकिस्‍तान के इस्‍लामिक समूहों के लिए चारा बनाती है। सरकार ने शरणार्थियों को एक द्वीप पर बसाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस कदम का विरोध हुआ है लेकिन बांग्‍लादेश सरकार आगे बढ़ रही है। अगर बांग्‍लादेश वहां से भाग रहे इन शरणार्थियों को नजरअंदाज करना शुरू कर देगा तो इससे न सिर्फ भारत के साथ उसके संबंध खराब होंगे, बल्कि दुनिया की नजरों में भी ढाका गिरता चला जाएगा।


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