देश की कई अदालतों में जजों के पद खाली, जानें भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट को किसका इंतजार

नई दिल्ली देश के विभिन्न हाई कोर्ट की ओर से नए जजों की नियुक्ति के लिए महीनों पहले जो सिफारिशें भेजी गईं थीं उन पर उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। वहीं देश के उच्चतम न्यायालय में भी न्यायाधीशों के चार पद रिक्त हैं। सरकार के सूत्रों ने यह बताया। उन्होंने बताया कि विधि एवं न्याय मंत्रालय को इस संबंध में न्यायालय के कॉलेजियम से कोई सिफारिशें प्राप्त नहीं हुई है। उच्चतम न्यायालय में पहला पद नवंबर 2019 में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने से रिक्त हुआ था। इसके बाद, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा भी सेवानिवृत्त हो गए। शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों के 34 पद हैं जिनमें से 30 ही भरे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय में इन रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार को कॉलेजियम की ओर से कोई अनुशंसा प्राप्त नहीं हुई है। वहीं, न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने, इस्तीफे देने तथा पदोन्नति होने के कारण अदालतों में रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। उच्चतम न्यायालय तथा 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत शीर्ष अदालत का कॉलेजियम उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश सरकार को भेजता है जो या तो इन प्रस्तावों को स्वीकार कर लेती है या फिर प्रस्ताव को पुन: विचार के लिए लौटा देती है। कॉलेजियम में प्रधान न्यायाधीश तथा शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। अधिकारी ने बताया कि उच्च न्यायालयों में 23 न्यायाधीशों को नियुक्त करने के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम ने जो प्रस्ताव भेजे हैं उन पर शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिए हैं तथा ये प्रस्ताव कई महीनों से लंबित हैं। कुछ प्रस्ताव तो दो से तीन वर्ष से लंबित हैं।


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