क्या कोरोना वैक्सीन लगते ही मिल जाता है कवच या फिर करना होता है इंतजार? जानें बड़ी बातें

नई दिल्लीअमेरिकी शहर कैलिफॉर्निया में एक पुरुष नर्स ने 18 दिसंबर को कोविड-19 महामारी के खिलाफ विकसित फाइजर का टीका लगवाया। छह दिन बाद उसे ठंड लगने लगी, मांसपेशियों में दर्द होने लगा और थकान महसूस होने लगी। 26 दिसंबर को जांच में उसके कोविड महामारी से ग्रसित होने की पुष्टि हुई। ऐसे में कोविड वैक्सीन के प्रभाव और उसकी उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए। सवाल यह है कि एक बार टीका लगाने के बाद आप कोरोना से कितना सुरक्षित हो पाते हैं? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित कोरोना वैक्सीन को यूके की सरकार ने उपयोग की मंजूरी दे दी। बीबीसी की खबरों में कहा जा रहा है कि यूके में सोमवार से जब ऑक्सफर्ड वैक्सीन लगाने की शुरुआत होगी तो टीकाकरण अभियान की रूपरेखा ही बदल जाएगी। इस तरह, 12 हफ्तों के अंदर वैक्सीन का दूसरा डोज दे देने के बजाय ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को वैक्सीन का पहला डोज देने की रणनीति पर फोकस हो जाएगा। पहले यूके में ज्यादा जोखिम वाले लोगों को दो-दो वैक्सीन डोज देकर पूरी तरह कोरोना वायरस के खिलाफ दुरुस्त बनाने की रणनीति तय की गई थी। अब वहां की राष्ट्रीय नीति में कहा गया है कि पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दे दिया जाएगा। लेकिन कैलिफॉर्निया के नर्स को पहला डोज मिलने के बाद भी कोरोना हो जाने से इस रणनीति पर प्रश्नचिह्न लग गया है। चूंकि भारत में भी ऑक्सफर्ड वैक्सीन को मंजूरी मिलना लगभग तय माना जा रहा है, इसलिए हर किसी को पहला शॉट (One short for all) का नियम हमारे लिए काफी मायने रखता है। लंबे गैप के बाद दूसरा डोज देना बेहतर ऑक्सफर्ड वैक्सीन की विषमताओं में एक यह भी है कि पहले इसने कहा था कि अगर वैक्सीन का आधा डोज देने के बाद दुबारा इसका पूरा डोज दिया जाए तो यह 30% ज्यादा प्रभावी हो जाता है। लेकिन, अब बीबीसी की रिपोर्ट कहती है, "अप्रकाशित आंकड़े बताते हैं कि पहले और दूसरे डोज में लंबा गैप रखने से वैक्सीन का असर बढ़ जाता है।" उधर, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यूके में कोविड-19 पर निर्मित एक सलाहकार समूह के अध्यक्ष मुनीर पीरमोहम्मद के हवाले से कहा कि आधा डोज और फिर पूरा डोज की रणनीति (Half dose full dose strategy) संभवतः पहले और दूसरे डोज में लंबा गैप रखने के बाद प्रभावी होती है। पीरमोहम्मद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पहले और दूसरे डोज के बीच लंबा गैप रखा गया... और हमें लगता है कि रिजल्ट का संबंध इस गैप से है ना कि डोज के कारण।" यानी, यूके पूरे-पूरे दो डोज की रणनीति पर आगे बढ़ेगा। अब सवाल है कि पहले डोज के 12 हफ्ते बाद दूसरा डोज देना कितना असरदायक होगा? यूके के कोविड वैक्सीन चेयर वे शेन लिम (Wei Shen Lim) ने कहा कि पहला डोज 21 दिनों के बाद 70% तक प्रभावी हो जाता है। एक महीने की जगह अगर तीन महीने बाद जब दूसरा डोज दिया जाए तो इसका असर बढ़कर 80% तक पहुंच जाता है। पहला डोज असरदायक यह तो बात एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड वैक्सीन की हुई। दूसरे वैक्सीन का क्या? कैलिफॉर्निया के नर्स ने फाइजर वैक्सीन लगवाया था। अमेरिका में मॉडर्न के वैक्सीन को भी उपयोग की मंजूरी मिल गई है। क्या फाइजर और मॉडर्ना के वैक्सीन पहले डोज के बाद कोविड-19 महामारी से सुरक्षा प्रदान नहीं करते? इन दोनों वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़े बताते हैं कि पहले डोज में ही ये अच्छा असर दिखाते हैं। अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा, "फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन का पहला डोज 82% प्रभावी है जबकि मॉडर्ना का वैक्सीन पहला डोज के दो हफ्ते बाद 92% तक प्रभावी हो जाता है।" ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब पहला डोज ही इतना प्रभावी है तो दूसरा डोज लेने की जरूरत ही क्या है? इसके जवाब में येल यूनिवर्सिटी के इम्यूनिलॉजी एक्सपर्ट अकीको इवासाकी (Akiko Iwasaki) कहते हैं कि दूसरे डोज के बाद आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) लंबे वक्त तक मजबूत रहती है। उन्होंने कहा, "मुझे अब भी यह कहने में संकोच हो रहा है कि एक डोज ही हमेशा के लिए पर्याप्त है।" वहीं, द वॉशिंटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पहला वैक्सीन डोज प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) को कोरोना वायरस को पहचानकर उससे लड़ने का प्रशिक्षण देता है जबकि दूसरा डोज इम्यून सिस्टम की याद्दाश्त दुरुस्त कर देता है ताकि उसमें लंबे समय तक कोरोना वायरस को पहचानकर उसे परास्त करने की क्षमता विकसित हो जाए। धीमी गति से तैयार होती है इम्यूनिटी ऐसा लगता है कि कैलिफॉर्निया के नर्स की किस्मत अच्छी नहीं थी। संभव है कि उसे जिस दिन वैक्सीन लगा, उसी दिन कोविड भी हो गया, इसीलिए छह दिन बाद उसमें महामारी के लक्षण दिखने लगे। आम तौर पर वैक्सीन अपना काम करने में बहुत ज्यादा वक्त नहीं लेता है। जहां तक बात कैलिफॉर्निया के नर्स की है तो वह अपने आप में अकेला केस नहीं है। डांसिंग नर्स के रूप में मशहूर हुई अना विल्किन्सन (Ana Wilkinson) भी उसी दिन कोरोना का शिकार हो गईं जिस दिन उन्होंने टीका लगवाया था। गुरुवार को भी कई खबरों में संक्रामक रोगों के अमेरिकी विशेषज्ञ डॉ. पीटर क्रश्चियन रैमर्स (Dr. Peter Christian Ramers) के हवाले से कहा गया है, "यह कुछ अचंभा नहीं है... हम वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के वक्त से ही जानते हैं कि इसे अपना काम करने में 10 से 14 दिन का वक्त लग जाता है।"


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