गूगल से कस्टमर केयर का नंबर लेकर की शिकायत, लग गई बड़ी चपत

गाजियाबाद में क्रेडिट कार्ड का बिल जमा न होने की समस्या के समाधान के लिए गूगल से एक ऐप का नंबर लेकर शिकायत करना युवक को महंगा पड़ा। कॉल जालसाजों को जा लगी और उन्होंने एक लिंक भेजकर युवक के खाते से 93 हजार 500 रुपये निकाल लिए। यह रुपये पीड़ित के कॉल पर रहते हुए निकाल लिए गए। पीड़ित ने इस मामले में सिहानी गेट थाने में शिकायत दी है। जिसके बाद मुकदमा दर्ज कर थाना पुलिस साइबर सेल की मदद से मामले की जांच कर रही है। जानकारी के अनुसार, पटेलनगर सेकंड में रहने वाले पिंटू कुमार एक पेंट कंपनी में सुपरवाइजर हैं। उन्होंने बताया कि 23 दिसंबर को उन्होंने अपने एक्सिस बैंक के क्रेडिट कार्ड का 1247 रुपये का बिल फोनपे ऐप से जमा किया था। क्या है पूरा मामला? पीड़ित के पास 28 दिसंबर को बैंक से एक कॉल आई, जिसमें कहा गया कि उनका बिल जमा नहीं हुआ है। उन्होंने उस एग्जिक्यूटिव को ट्रांजेक्शन नंबर बताते हुए कहा कि वह फोनपे (मोबाइल ऐप) से बिल भर चुके हैं। इस पर उसने कहा कि आपकी पेमेंट हमें नहीं मिली है। आप फोनपे ऐप के कस्टमर केयर से बात करें। इसके बाद उन्होंने गूगल पर फोनपे ऐप का कस्टमर केयर नंबर सर्च किया। उन्हें वहां टॉप पर 10 अंकों का जो नंबर मिला, उस पर उन्होंने कॉल की। कॉल उठाने वाले ने पीड़ित से कस्टमर केयर अधिकारी बनकर ही बात की और मदद के नाम पर पूरी जानकारी मांगी। इसके बाद उसने मदद का आश्वासन देते हुए एक लिंक और एक कोड उनके मोबाइल पर भेजा। आरोपित ने कहा कि पहले आप इस लिंक पर क्लिक करें और कोड डालें, इसके बाद अपनी बैंक डिटेल भरें। ऐसा करने पर उनके अकाउंट में रुपये फौरन वापस आए जाएंगे। वह उसकी बातों में आ गए और वैसा ही किया जैसा उसने कहा। डिटेल डालते ही उनके अकाउंट से 93 हजार 500 रुपये निकल गए। रुपये निकलने के बाद उन्होंने दोबारा उस नंबर पर कॉल किया तो वह स्विच ऑफ बताने लगा। 'ऑफिशियल वेबसाइट से ही लें नंबर' पुलिस के अनुसार शुरुआती जांच में लग रहा है कि ठगों ने लिंक और कोड के माध्यम से पीड़ित के मोबाइल को हैक कर ठगी है। सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि लगातार एक प्रकार से ठगी होने से लोग रिमोट ऐप और अन्य वेब पेज के बारे में जान जाते हैं। ऐसे में ठग तरीके भी बदल रहे हैं। इस केस में लिंक भेजकर मोबाइल हैक किया गया है। उन्होंने बताया कि पीड़ित ने जो नंबर गूगल से लिया था वह फोनपे से जुड़ा नहीं है। ठगों ने पेज पर नंबर एडिट करके अपना नंबर डाल दिया था। उन्होंने बताया कि लेनदेन से जुड़े मामलों में बैंक या किसी भी वॉलेट की ऑफिशियल वेबसाइट से ही नंबर निकालें। इन बातों का रखें ध्यान -कभी भी किसी कंपनी या बैंक का नंबर गूगल पर सर्च न करें, गूगल पर जालासाज फर्जीवाड़ा कर अपना नंबर कंपनी के नाम से डालते हैं और आप जब उस नंबर पर कॉल करते हैं तो वह आपको अपने जाल में फंसा लते हैं। इसके अलावा फेसबुक या ट्विटर पर भी पोस्ट करके किसी से कंपनी या बैंक का नंबर न मांगें। हो सकता है जालसाज आपको गुमराह कर दे और सही नंबर की जगह आपको अपना नंबर देकर आपको चूना लगा दें। -अगर आपको बैंक या किसी भी कंपनी को लेकर कोई भी दिक्कत है और उसकी शिकायत करना चाहते हैं तो सबसे बेहतर विकल्प ये है कि आप उस कंपनी या बैंक के ऑफिस में जाकर कंप्लेंट करें। -अगर फिजिकली जाकर शिकायत करना संभव नहीं है तो उक्त कंपनी के ट्विटर हैंडल पर जाकर मेसेज कंपनी को पहले फॉलो कर लें, फिर मेसेज के ऑप्शन पर जाकर अपनी शिकायत मेसेज कर दें। -अगर आप ट्विटर भी नहीं चलाते तो आप उक्त कंपनी की वेबसाइट पर जाकर कॉन्टैक्ट अस या हेल्प के सेक्शन में जाकर कंपनी का नंबर लें और उसी नंबर पर कॉल करें। -आपकी ओर से शिकायत करने के बाद कोई कॉल आए और कॉल करने वाला संबंधित मामले के समाधान का आश्वासन देते हुए आपसे आपके खाते या कार्ड से जुड़ी जानकारी मांगे तो उसे ये सब न बताएं। इसके अलावा उसके कहने पर किसी भी तरह का कोई ऐप फोन में डाउनलोड न करें। -कुछ मामलों में देखा गया है कि जालसाज बैंककर्मी या उक्त कंपनी का कर्मचारी बनकर कॉल करता है और समस्या के समाधान के लिए एक लिंक भेजता है। लिंक पर क्लिक करने के बाद कोई फॉर्म खुलता है और उसमें वह आपको अपनी जानकारी भरने को कहता है। जानकारी भरते ही जालसाज आपके खाते में सेंध लगा देता है। ऐसे में जरूरी है कि अगर कोई कॉल करके लिंक भेजे तो उस पर क्लिक न करें। - बैंक का नंबर, उसके पासबुक, डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड पर भी लिखा होता है। आप वहां से नंबर लेकर भी कॉल कर सकते हैं। - अगर आप पेटीएम, गूगल-पे या फोनपे पर किए गए ट्रांजेक्शन को लेकर कोई शिकायत करना चाहते हैं, तो एक विकल्प यह भी है कि आप उस ट्रांजेक्शन पर क्लिक करें। नीचे हेल्प के ऑप्शन पर क्लिक करें। इसके बाद आपको कुछ ऑप्शन दिखेगा, जिसमें आप अपनी समस्या को चुनकर सब्मिट कर सकते हैं। कैसे बदलते हैं नंबर जब आप गूगल पर किसी जगह या कंपनी के बारे में सर्च करते हैं तो वहां काफी डिटेल के साथ फोन नंबर भी आता है। गूगल की यूजर जनरेटेड कंटेट पॉलिसी के मुताबिक, गूगल मैप्स या गूगल सर्च पर दी गई जानकारी एडिटेबल होती है। इसी का फायदा उठाकर जालसाज इन जानकारियों को एडिट कर देते हैं और यहां अपना नंबर डाल देते हैं।


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