जरा हटके हैं ये IPS ऑफिसर, जानें क्यों है आम लोगों के दिलों में इनका खास मुकाम
हमारा देश में सरकारी महकमों के कर्मचारियों, अफसरों की बहुत अच्छी छवि नहीं है। इसका कारण है ज्यादातर, कर्मचारी ईमानदारी का रास्ता नहीं चुनते जिससे आम लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें जनता सलाम करती है।
आज कुछ ऐसे आईपीएस अफसरों की चर्चा करेंगे जिन्होंने अपने काम से जनता के दिलों में खास मुकाम बनाया है। हम यहां ऐसे पांच आईपीएस अफसरों से हम आपको रू-ब-रू करवा रहे हैं जिन्होंने कुछ-न-कुछ ऐसा किया है जिसके बारे में जानकर आप इन पर नाज करेंगे। ये मुश्किल से मुश्किल वक्त में भी अपने कर्तव्य पथ से जरा भी नहीं हिलते और किसी तरह के दबाव में नहीं आते। ऐसे अफसरों की फेहरिस्त तो बहुत लंबी है, लेकिन हम संजुक्ता पराशर, रूपा मुद्गिल, शिवदीप लांडे, श्रेष्ठा ठाकुर और विवेक राज सिंह के ही बारे में बताएंगे कि आखिर ये क्यों हैं जरा हटकर...
असम की दबंग लेडी IPS संजुक्ता पराशर
ब्यूटी विद द ब्रेन की मिसाल संजुक्ता पराशर आतंक के खिलाफ बहादुरी से लड़ीं। 2015 में असम के जोरहाट जिले की एसपी के तौर पर लगातार असम के जंगलों में एके-47 थामे सीआरपीएफ के जवानों और कमांडों को लीड करती रहीं। अप्रैल 2015 में उनकी टीम ने सेना के काफिले पर हमले करने वाले उग्रवादियों की धरपकड़ की थी, साथ ही उन उग्रवादियों को भी पकड़ा जो जंगल को अपने छिपने के लिए इस्तेमाल करते थे। ऐसी जगह पर ऑपरेशन को लीड करना बेहद मुश्किल था, यह इलाका बेहद दुर्गम है जहां मौसम में नमी रहती है और न जाने कब बारिश हो जाए, नदी और जंगली जानवर का खतरा हर वक्त सामने रहता है। लोकल लोग उग्रवादियों को पुलिस के मूवमेंट की सूचना देते रहते हैं। उन्होंने बतौर कुछ महीनों में उनके नेतृत्व में 16 उग्रवादियों को मार गिराया गया और 64 को गिरफ्तार कर भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया है।
प्रिजन सिस्टम में करप्शन के खिलाफ लिया स्टैंड
कुछ ही ब्यूरोक्रेट लीक से हटकर कुछ करने की हिम्मत जुटा पाते हैं। रूपा मुद्गिल भी उन्हीं में एक हैं। कर्नाटक में डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल (प्रीजन) के पद पर रहते हुए रूपा ने राष्ट्रीय स्तर पर छा गईं। उन्होंने देश के जेल सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया था। रूपा ने एआईएडीएमके की नेता वीके शशिकला को मिल रही विशेष सुविधाओं के खिलाफ आवाज उठाई। शशिकला तब बेंगलुरु की प्रपन्ना अग्रहरा सेंट्रल जेल में बंद थीं। रूपा ने 15 नवंबर को हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में ब्लॉग लिखा था जिसका शीर्षक था '
Crackers, the govt ban and people’s behaviour
' यानी 'पटाखे, सरकारी रोक और लोगों का व्यवहार'। रूपा के इस ब्लॉग के बाद ट्विटर पर बहस छिड़ गई। उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों को लेकर अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखा। इस बहस के कारण रूपा ने खूब सुर्खियां बटोरीं।
बड़े इनोवेटिव आइडियाज लगाते हैं शिवदीप लांडे
बिहार कैडर के आईपीएस ऑफिसर शिवदीप लांडे अपनी दिलेरी के लिए काफी मशहूर हैं। उन्होंने पटना में रहते हुए अपराधियों पर लगाम कसने के लिए कई नए-नए आइडियाज पर काम किए। उदाहरण के तौर पर, लांडे ने मगध महिला कॉलेज और पटना विमेंस कॉलेज की लड़कियों को अपना पर्सनल नंबर दे दिया और कहा कि जब भी कोई मनचला उन्हें छेड़ने के लिए कॉल करे तो उसकी कॉल को उनके नंबर पर डायवर्ट कर दें। लांडे के ऐसे प्रयासों से उनके नौ महीने के कार्यकाल में पटना का क्राइम रेट कम हो गया। आम लोगों में उनकी छवि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनका ट्रांसफर अररिया जिले में किया गया तो पटना की सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन होने लगे। अपराधियों को किसी भी हाल में नहीं बख्शने के उनके इरादे ने लांडे को आम लोगों की नजर में फिल्मी कैरेक्टर 'चुलबुल पांडे' जैसा बना दिया। लांडे जब इंटर स्टेट डेप्युटेशन पर मुंबई गए तो वहां उन्होंने ऐंटी-नारकोटिक्स सेल और सोशल सर्विस ब्रांच में काम किया। इस दौरान उन्होंने बाल मजूदरों और बार गर्ल्स का रेस्क्यू करवाने के साथ-साथ ड्रग डीलिंग और सैक्स रैकेट के खिलाफ भी जबर्दस्त काम किया।
बीजेपी शासन में बीजेपी के कार्यकर्ताओं को ही सुंघा दी जमीन
यूपी कैडर की आईपीएस श्रेष्ठा ठाकुर ने भी साबित किया है कि वो भी दबंग लेडी हैं। 2017 में उनका एक वीडियो वायरल होने के बाद वो देशभर में चर्चित हो गईं। दरअसल, उन्होंने बुलंदशहर में बतौर डीएसपी बीजेपी कार्यकर्ताओं से भिड़ गईं। बीजेपी कार्यकर्ता बिना दस्तावेज, नंबर प्लेट और हेलमेट के बिना मोटरसाइक चला रहे थे। उन पर जुर्माना लगाया गया तो वो धौंस जमान लगे। श्रेष्ठा उनकी धमकियों और भभकियों के सामने बिल्कुल नरम नहीं पड़ीं, हालांकि वो लोगों से घिरी थीं। उन्होंने पांच बीजेपी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया। 15 दिन बाद उनका ट्रांसफर हो गया। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'यह अच्छे काम का पुरस्कार है।' उन्होंने कविताई अंदाज में आगे लिखा, 'जहां भी जाएगा, रोशनी लुटाएगा, किसी चिराग का अपना मकां नहीं होता।'
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