जब जिन्ना ने कश्मीर नहीं भारत का दिल छीनने का मंसूबा पाला था
नई दिल्ली ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन () चुनाव के दौरान असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी के नेताओं के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप के तीर चले। बीजेपी ने तो यहां तक कह दिया कि अगर वह सत्ता में आएगी तो यहां से निजाम संस्कृति खत्म कर दी जाएगी। निजाम के शहर से मशहूर हैदराबाद को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत में शामिल करवाया था। एक वक्त ऐसा भी था जब मोहम्मद अली जिन्ना हैदराबाद को भारत का दिल कहते थे और इसे पाकिस्तान में शामिल करवाना चाहते थे। लेकिन पटेल ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया था। हैदराबाद को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे जिन्ना मोहम्मद अली जिन्ना देश के बंटवारे के बाद हैदराबाद को पाकिस्तान में मिलाने को बेचैन थे। हैदराबाद पर किताब लिखने वाले लेखक ए जी नूरानी के अनुसार, जिन्ना का मानना था कि अगर भारत के दोनों हाथ कट जाए तो वह जिंदा रह सकता है लेकिन अगर उसका दिल निकाल दे तो वह जी नहीं पाएगा और जिन्ना हैदराबाद को 'भारत का दिल' मानते थे। वह कश्मीर की जगह हैदराबाद को पाकिस्तान में शामिल करवाना चाहते थे। पटेल ने हैदराबाद को नासूर कहा था हैदराबाद को भारत में शामिल करवाने वाले पटेल ने 'भारत के दिल का नासूर' कहा था और फौजी कार्रवाई करके इसे भारत में शामिल करवा लिया था। एक वक्त था जब हैदराबाद रियासत भारत की सबसे रईस रियासत थी। यहां अगल-अलग बोलियां बोलने वाले लोग रहते थे। हैदराबाद से 'भाग्यनगर', खूब चले सियासी तीर निकाय चुनाव में प्रचार करने आए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो यहां तक कह दिया था कि इस शहर का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाएगा। इसके बाद ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि उनका नाम बदल जाएगा, उनकी नस्लें तबाह हो जाएंगी लेकिन हैदराबाद का नाम नहीं बदलेगा। निजाम के पोते बोले-वोट के लिए मेरे दादा का नाम करते हैं बदनाम जीएचएमसी चुनावों के लिए प्रचार अभियान के दौरान तत्कालीन शासक की छवि को धूमिल करने के लिए हैदराबाद के आखिरी निजाम, मीर उस्मान अली खान के पोते मीर नजफ अली खान ने नेताओं की आलोचना की है। नजफ अली खान ने कहा कि जब भी चुनाव आते हैं, वोटों के लिए निजामों का नाम खींचा जाता है। उन्होंने कहा, 'जब भी चुनाव होते हैं, मेरे दादाजी की आलोचना की जाती है और उनकी अपने विषयों के प्रति असीम सेवाओं की निंदा की जाती है। राजनेताओं को निजाम VII पर अनावश्यक नकारात्मक कॉमेंट्स के बजाय लोगों को कल्याणकारी योजनाओं और अपने काम से आकर्षित करना चाहिए।
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