3 करोड़ के पैकेज का सच क्या? पिता के आरोपों से सवालों के घेरे में शहला रशीद
जेएनयू की छात्रा शहला रशीद (Shehla Rashid News) एकबार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल, शहला के पिता ने उनपर देशद्रोह और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा दिया है और इस बारे में पुलिस महानिदेशक को एक पत्र भी लिखा है। ऐसा पहली बार नहीं है जब शहला विवादों में आई हों उनपर पहले भी कई आरोप लगे हैं।
शहला (Shehla Rashid Kaun Hai) अपने बयानों से लगातार सुर्खियां बटोरती रही हैं। अपने गृह राज्य जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म किए जाने को लेकर शहला ने कई विवादित बयान दिए थे। वह कुछ दिनों तक राजनीति में भी रही थीं। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का शहला ने विरोध किया था।
जानिए कौन हैं शहला रशीद
जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखने वाली शेहला जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। फरवरी 2016 में जेएनयू के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद के राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के बाद शहला ने प्रदर्शन किए थे और भारत विरोधी बयानबाजी भी की थी।
(पिता के आरोप पर शहला ने किए दिए जवाब यहां पढ़ें)
पेशे से इंजीनियर रही हैं शहला
शहला ने एनआईटी श्रीनगर से इंजीनियरिंग की तालीम हासिल करने वाली शहला ने बतौर इंजीनियर नौकरी भी की है। बाद में वह सामाजिक आंदोलनों से जुड़ गईं।
(शहला के पिता ने बेटी पर क्या लगाए आरोप, यहां पढ़िए)
3 करोड़ के पैकेज का सच क्या?
शहला के पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी शहला कश्मीर में हुर्रियत जैसी नई पार्टी खड़ी करना चाहती थी। उसका इरादा कश्मीर में युवाओं को बरगला कर अलगाववाद के साथ जोड़ने का था। उन्होंने आरोप लगाया कि बिजनसमैन जहूर अमहद शाह वटाली ने शहला को JKPM पार्टी में शामिल होने के लिए 3 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था। इस पार्टी को आईएएस टॉपर रहे शाह फैसल ने शुरू किया था। शाह अब राजनीति से दूर हो चुके हैं और उनका आईएएस से इस्तीफा केंद्र सरकार के पास पेंडिंग पड़ा हुआ है।
राजद्रोह का दर्ज हुआ था केस
शहला ने 18 अगस्त 2019 को कई ट्वीट कर सेना पर कश्मीरियों पर अत्याचार करने के आरोप लगाए थे। सेना ने इन आरोपों को झूठा बताया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने शहला के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया था।
राजनीति में भी हाथ आजमा चुकी हैं शहला
शहला ने राजनीति में भी हाथ आजमाया है। पहले वह नैशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई थी। बाद में शहला आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए शाह फैसल की पार्टी JKPM में शामिल हुई थीं। हालांकि बाद में उन्होंने चुनावी राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया था।
अब पिता ने बता दिया ऐंटी नैशनल
शहला के पिता अब्दुल रशीद शौरा ने सोमवार को अपनी बेटी को ऐंटी नैशनल बता दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी देशविरोधी गतिविधियों में शामिल है। शहला के पिता अब्दुल रशीद ने दावा किया कि वर्ष 2017 में उनकी बेटी अचानक ही कश्मीर की राजनीति में आ गई थी। पहले वह नैशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई थी। उसके बाद जेकेपीएम में शामिल हुई थी। उन्होंने बताया कि टेरर फंडिंग मामले में पहले ही इंजीनियर रशीद और जुहूर वटाली गिरफ्तार हैं। इन नेताओं ने उनकी बेटी को नई पार्टी में शामिल होने के लिए तीन करोड़ रुपये के पैकेज की पेशकश की। अब्दुल रशीद ने बताया कि जून 2017 में इन दोनों नेताओं ने उसे वटाली के घर पर बुलाया था, जो कि श्रीनगर में है। वहां पर उसे कहा गया कि वे लोग नई पार्टी बनाने जा रहे हैं और उसमें उनकी बेटी को जोड़ा जाएगा।
पिता के आरोप पर शहला की सफाई
पिता के आरोप पर शहला ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि परिवार में ऐसा नहीं होता, जैसा मेरे पिता ने किया है। उन्होंने मेरे साथ-साथ मेरी मां और बहन पर भी बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। शहला ने ट्वीट करते हुए कहा कि वह पत्नी को पीटने वाला और एक अपमानजनक, नापाक आदमी है। हमने आखिरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है और यह स्टंट उसी का हिस्सा है। शहला ने बयान जारी करते हुए कहा कि उन्हें 17 नवंबर से ही घर में आने से रोका हुआ है।
जानिए कौन हैं शाह फैसल
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से इस्तीफा देकर कश्मीरी युवक शाह फैसल ने बनाई थी राजनीतिक पार्टी। शाह फैसल 2009 के सिविल सर्विस एग्जाम में टॉप किया तो पहली बार चर्चा में आए। इसका कारण यह था कि एक तो उन्होंने एग्जाम टॉप किया था और दूसरा यह कि वो जम्मू-कश्मीर से थे जहां से हाल के वर्षों में किसी का चयन आईएएस में नहीं हो रहा था। 9 जनवरी, 2019 को जब उन्होंने कश्मीरियों पर ज्यादतियों की हवाला देकर सिविल सर्विसेज छोड़ने का ऐलान किया तो वह दोबारा चर्चा के केंद्रबिंदु में आ गए थे। जनवरी 2019 में आईएएस की नौकरी छोड़ने के बाद फैसल ने 4 फरवरी, 2019 को अपना राजनीतिक दल लॉन्च किया था। 17 मार्च को श्रीनगर के राजबाग इलाके के एक फुटबॉल ग्राउंड में आयोजित रैली में उन्होंने जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (JKPM) नाम से राजनीतिक दल के गठन का ऐलान कर दिया था। हालांकि, अब वह राजनीति से दूर हैं और उनका इस्तीफा केंद्र सरकार के विचाराधीन है।
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