आतंकियों के लगातार सरेंडर घाटी में दे रहे नई सुबह के संकेत, टेंशन बस एक ही है
श्रीनगर 3 दशक तक आतंक का दंश काल झेल चुके कश्मीर में हालात बदलते से नजर आ रहे हैं। आतंकवाद के रास्ते पर ना जाने कितनों की जान गंवा चुके कश्मीरी लोगों के बीच अब एक बार फिर अमन और शांति की उम्मीद जगने लगी है। एक ओर सरकारी स्तर पर बैक टू विलेज और रोजगार नीतियों के कार्यक्रमों से जहां कश्मीर में नई संभावनाओं का जन्म होता दिखने लगा है, वहीं दूसरी ओर आतंक की राह छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे नौजवानों ने एक बार फिर सकारात्मक संकेत देने शुरू किए हैं। अनुच्छेद 370 के एक साल बीतने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में दिख रहे इन सकारात्मक बदलावों को राज्य के विकास की दिशा में बढ़ने का संकेत कहा जा रहा है। जिस कश्मीर ने साल 2016 से 2019 के बीच कई बार अनिश्चितताओं और आतंकवाद की बड़ी घटनाओं को देखा, वहां अब आतंकी ऑपरेशन के बीच सरेंडर की अपील को मानने लगे हैं। बीते दो हफ्तों में चार ऐसे मौके आए हैं, जब आतंकियों ने किसी काउंटर ऑपरेशन के बीच परिवार की ओर से की गई सरेंडर की अपील स्वीकार कर हथियार डाल दिए हों। सेना और अन्य सुरक्षाबलों की अपील पर इस तरह के सरेंडर अब ये बता रहे हैं कि कश्मीर की आवाम और यहां आतंक का रास्ता अख्तियार कर चुके युवाओं ने अब अमन का रास्ता चुन लिया है। अतीत में देखें तो बीते दो हफ्तों में कश्मीर के अति संवेदनशील इलाकों में हुए ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर का विकल्प स्वीकार किया है। डीजीपी ने कहा- सरेंडर करने वालों को देंगे पूरी मदद बीते दिनों बडगाम, सोपोर (बारामूला) और त्राल (पुलवामा) के अलग-अलग ऑपरेशन में चार आतंकियों ने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर किया है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने शनिवार को कहा कि सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों के दौरान आतंकवादी आत्मसमर्पण करने को तरजीह दे रहे हैं और यह एक स्वागत योग्य बदलाव है। शनिवार को डीजीपी ने कहा कि जिन्होंने भी अपने हाथों में हथियार उठाए हैं, वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें और मुख्यधारा में लौट आएं। अधिकारी ने कहा कि ऐसे लोगों को हर प्रकार से समर्थन दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि जिन युवाओं को बहला फुसला कर गलत रास्ते पर भेज दिया गया है, वे लौट आएं। अभी भी वक्त है, वे लौट सकते हैं और हम उनकी हर प्रकार से मदद करेंगे।' बैक टू विलेज जैसे कार्यक्रमों को लोगों का बड़ा समर्थन एक ओर जहां पुलिस और सेना ने आतंकियों को सरेंडर का मौका देने का ऐलान किया है। वहीं जम्मू-कश्मीर में प्रशासन की ओर से बीते दिनों कई बड़े कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिससे कि घाटी में रोजगार के अवसरों और युवाओं के लिए अन्य बहुआयामी योजनाओं को सृजित किया जा सके। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा लगातार राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और युवा कल्याण के तमाम अवसरों को उत्पन्न करने के लिए अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा बीते दिनों शुरू हुए बैक टू विलेज कार्यक्रम को भी जम्मू-कश्मीर की आवाम का व्यापक स्तर पर सहयोग मिलना एक अच्छा संकेत दे रहा है। राजनीतिक लोगों की हत्या के मामले ने बढ़ाई है टेंशन जम्मू-कश्मीर को करीब से जानने वाले लोगों का कहना है कि राज्य में सकारात्मक बदलाव तो देखने को मिल रहे हैं, लेकिन हाल ही में राजनीतिक हत्याओं का बढ़ना एक बार फिर मुश्किल स्थितियों को पैदा करने की कोशिश जैसा दिख रहा है। कश्मीर में बीते दिनों अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के तमाम राजनेताओं की हत्या हुई है। इनमें कुलगाम में बीजेपी के तीन नेताओं की हत्या का मामला भी शामिल है। सुरक्षाबलों का मानना है कि कश्मीर में बेहतर होती स्थितियों के बीच लोगों के मन में डर पैदा करने की साजिश के साथ आतंकी राजनीतिक लोगों को निशाना बना रहे हैं। इसमें बीजेपी ही नहीं कई अन्य पार्टियों के नेताओं को भी टार्गेट किया गया है। सुरक्षाबलों के अलावा अन्य एजेंसियों के अधिकारियों ने इंटरनल सिक्यॉरिटी और काउंटर इंटेलिजेंस ग्रिड को और मजबूत करने का काम शुरू किया है, जिससे कि कश्मीर घाटी में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी आतंकियों के खात्मे के लिए तमाम ऑपरेशंस लगातार चलाए जा रहे हैं।
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