फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ भोपाल में भीड़ जुटाने वाले आरिफ मसूद को जानिए, वंदे मातरम् के भी थे खिलाफ

भोपाल। फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ भोपाल में हजारों लोगों का प्रदर्शन आयोजित करने वाले के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरकार ने उनके साथ प्रदर्शन में शामिल 2000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। सीएम शिवराज ने ट्वीट कर कहा है कि इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई भी हो। इधर, आरिफ मसूद भी अपनी बात पर अड़े हैं। उन्होंने कहा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने हमारे धर्मगुरु और मजहब के बारे में टिप्पणी की, हमने उसका विरोध किया है। किसी का मजहब इजाजत नहीं देता कि किसी के धर्मगुरु के खिलाफ टिप्पणी की जाए। 2018 के विधानसभा चुनाव में भोपाल मध्य से विधायक चुने गए आरिफ मसूद मुसलमानों से संबंधित मुद्दों पर पहले से भी मुखर होकर बोलते रहे हैं। मॉब लिंचिंग से लेकर राम मंदिर और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर उनके बयान अक्सर चर्चा में रहते हैं। विधायक चुने जाने के थोड़े दिनों बाद ही उनके एक बयान को लेकर बवाल खड़ा हो गया था। उन्होंने कह दिया था कि मैं देश से प्यार करता हूं, लेकिन वंदे मातरम नहीं गाऊंगा। इसके खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए थे और कांग्रेस पार्टी से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। दबंग छवि के लिए मशहूर मसूद ने ट्रिपल तलाक बिल के खिलाफ पूरे भोपाल में प्रदर्शन आयोजित किए थे। मॉब लिंचिंग के खिलाफ भी अपने समर्थकों के साथ वे सड़कों पर उतर आए थे। हालांकि, इससे पहले भी वे विरोध-प्रदर्शनों के चलते विवादों में रहे हैं। साल 2001 में गदर- एक प्रेम कथा फिल्म की स्क्रीनिंग के खिलाफ भोपाल के लिली टॉकीज में जबरदस्त तोड़फोड़ हुई थी। इसका नेतृत्व भी मसूद ने ही किया था। उस समय मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहे दिग्विजय सिंह ने इसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। कुछ समय समाजवादी पार्टी में रहने के बाद वे फिर से कांग्रेस में लौट आए और 2010 में पार्टी के अल्पसंख्क मोर्चा के संयोजक बने। भोपाल के सोफिया कॉलेज के वो छात्र रहे मसूद ने यहीं से छात्र राजनीति में कदम रखा था। उस समय वे पूर्व मंत्री रसूल अहमद सिद्दिकी से जुड़े थे। बाद में वे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के करीब पहुंचे और 2018 में विधायक का चुनाव जीत गए। इससे पहले 2013 में भी उन्हें कांग्रेस ने भोपाल मध्य से अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन हार गए। फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित कर मसूद एक बार फिर विवादों में आ गए हैं, लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद भी वे अपनी बात पर अड़े हैं। उनका कहना है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने उनके धर्म को लेकर जो बात कही है, वह गलत है। उनका यह भी कहना है कि प्रदेश सरकार राजनीतिक आयोजनों में हजारों की भीड़ जमा होने पर कोई कार्रवाई नहीं करती, जबकि उन्हें बेवजह निशाना बनाया जा रहा है।


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