दिल्ली में 3 महीने में स्मॉग टावर क्यों नहीं लगे: SC

नई दिल्ली () ने दिल्ली में स्मॉग टावर लगाने में हुई देरी पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि जब तीन महीने में स्मॉग टावर लगाने का आदेश था तो उसे पूरा क्यों नहीं किया गया। हम किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर बताए कि समय पर स्मॉग टावर लगाने का काम पूरा क्यों नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने स्मॉग टावर लगाने में हुई देरी पर जताई नाराजगीअदालत ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया कि जब हमने कहा था कि तीन महीने में स्मॉग टावर लगाया जाए तो अभी तक पूरा क्यों नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह डिटेल में हलफनामा दायर कर बताए कि पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए लगाए जाने वाले स्मॉग टावर दिल्ली में समय पर क्यों नहीं लगाए गए। इस स्मॉग टावर को लगाने का काम आईआईटी मुंबई को देखना था। इसे भी पढ़ें:- सॉलिसिटर जनरल ने कही ये बातसुप्रीम कोर्ट में जब मामले की सुनवाई हुई तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में एमओयू साइन किया जाना है जो डिजिटली होना है और सभी इसके लिए उत्तरदायी होंगे। इस मामले में संबंधित पक्ष आईआईटी मुंबई, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल ब्यूरो और अन्य टेक्निकल कंसल्टेंट होंगे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मिश्रा ने कहा कि जब हमने कहा था कि स्मॉग टावर का काम तीन महीने में पूरा किया जाए तो वह तय समयसीमा में पूरा क्यों नहीं हुआ। कोर्ट ने सोमवार तक हलफनामा दायर करने के लिए कहासॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें बताया गया कि ये तीन महीने में पूरा होना संभव नहीं था। टॉवर की ड्राइंग आईआईटी मुंबई दो महीने में उपलब्ध कराएगी। तकनीकी काम में तीन महीने लगेंगे और उसे बनाने में 10 महीने लगेंगे। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि ये बातें हमें पहले बताया जाना था। मेहता ने कहा कि तकनीक यूएस से आया है। तब कोर्ट ने कहा कि आप तकनीक का सहारा क्यों ले रहे हैं। हमारे आदेश का उल्लंघन हुआ है और आदेश के अमल की मंशा नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस बात की इजाजत नहीं देंगे आप डिटेल में सोमवार को हलफनामा दायर करें। हम उसके बाद कोई तारीख नहीं लगाएंगे। आपको हमारे तमाम सवालों का जवाब देना होगा। हम किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी मुंबई को दी चेतावनी सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आईआईटी मुंबई को चेतावनी देते हए कहा कि हम कंटेप्ट कार्रवाई की शुरूआत कर सकते हैं। अदालत ने इस बात को लेकर खिंचाई की कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आईआईटी मुंबई ने प्रोजेक्ट से अपने कदम पीछे करने के बारे में बात कर रहा है। अदालत ने संकेत दिया था कि इस तरह से कदम पीछे करने पर कंटेप्ट की कार्रवाई कर सकते हैं। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई आईआईटी की इस बात को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी कि उसने दिल्ली के एयर पॉल्यूशन पर कंट्रोल के मद्देनजर लगाए जाने वाले स्मॉग टावर के काम से अपने हाथ पीछे खींचने का इरादा कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में फटकार लगाते हुए चेताया था कि ये कोर्ट का कंटेंप्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के प्रोजेक्ट से आईआईटी मुंबई के पीछे हटने का जो इरादा है वह बेहद गलत है। सुनवाई के दौरान मुख्य दलीलें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: सुप्रीम कोर्ट ने जैसा बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था उसके मुताबिक हमने रात में आईआईटी मुंबई, सीपीसीबी और अन्य तकनीकी कंसल्टेंट से संपर्क किया। हमारे पास एमओयू है जिस पर डिजिटल दस्तखत होने हैं। सभी पक्षकार ने कहा कि एमओयू से वह बंधे हुए हैं। जस्टिस मिश्रा: हमारे तमाम सवाल हैं जिसका जवाब चाहिए अन्यथा कंटेप्ट को न्यौता होगा। जब आईआईटी की इसमें रजामंदी थी तो फिर वह पीछे कैसे हट सकता है। सॉलिसिटर जनरल: आईआईटी मुंबई को इसका जवाब देना होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन होगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मिश्रा: हमारे पास कई सवाल हैं। सभी का जवाब हलफनामे के तौर पर दिया जाए। अगर हमने तीन महीने में इसे पूरा करने के लिए कहा था तो उसे पूरा क्यों नहीं किया गया। हम इसकी इजाजत नहीं देंगे। आप सोमवार को हलफनामा दायर करें। हम तमाम सवालों का जवाब चाहते हैं कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। देश-दुनिया और आपके शहर की हर खबर अब Telegram पर भी। हमसे जुड़ने के लिए और पाते रहें हर जरूरी अपडेट।


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