लोकतंत्र में विपरीत विचारधारा का भी सम्मान हो: जस्टिस कौल
नई दिल्ली के जस्टिस ने कहा है कि बिना तथ्य को वेरिफाई किए अगर वाट्सएप मैसेज को फॉरवर्ड किया जाता है तो इससे फेक न्यूज फैलता है और कई बार ये मैसेज धार्मिक या नस्लीय मंशे वाला होता है। ऐसे में लोगों की जिम्मेदारी है कि वह न्यूज के कंटेंट को वेरिफाई करें फिर आगे बढ़ाएं। जस्टिस कौल ने ये भी कहा कि विपरीत विचारधारा लिए असहिष्णुता में बढ़ोतरी हो रही है जबकि ये महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र में असहमति का भी आदर हो। मद्रास बार असोसिएशन की ओर से फेक न्यूज और मिस इन्फॉर्मेशन विषय पर ऑनलाइन लेक्चर का अयोजन किया गया था इसी मौके पर जस्टिस कौल ने उक्त बातें कहीं। फेक न्यूज को करें वेरिफाई- जस्टिस कौलजस्टिस कौल ने इस दौरान कहा कि ये व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि वह फेक न्यूज को वेरिफाई करें और उसके बाद भी सोशल मीडिया पर उसे आगे बढ़ाएं। सेशल मीडिया का रेग्युलेशन कर अगर फेक न्यूज को रोकने की कोशिश होगी तो ये अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे में ये लोगों पर जिम्मेदारी है कि वह ऐसे किसी भी न्यूज को वेरिफाई करें और तभी उसे आगे बढ़ाएं। किसी भी तरह से सोशल मीडिया पर अगर कोई रेग्युलेशन रखा गया तो ये अभिव्यक्ति की आजादी और निजता के अधिकार का अतिक्रमण होगा। सोशल मीडिया पर लोग जिम्मेदार नहीं- जस्टिस कौलउन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह कंटेंट को वेरिफाई करे और फिर उसे आगे बढ़ाए। जस्टिस कौल ने कहा कि फेक न्यूज के मामले में प्रेस और सोशल मीडिया में अंतर है। प्रेस को गलत खबर के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है लेकिन सोशल मीडिया पर ये संभव नहीं हो सकता। जब प्रेस कुछ लिखता है तो उसमें उनकी जिम्मेदारी होती है। खबर लिखते वक्त लोग अपनी जिम्मेदारी समझते हैं क्योंकि ये उनकी रोजी रोटी भी है। लेकिन वहीं सोशल मीडिया पर किसी का कुछ भी दाव पर नहीं होता और न ही कोई जिम्मेदारी होती है और न ही कोई सिस्टम है जो चेक बैलेंस करे। 'लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांत में अभिव्यक्ति की आजादी है'जस्टिस कौल ने कहा कि आजकल लोग विपरीत विचारधारा के प्रति ज्यादा असहिष्णु हो रहे हैं। जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपरीत विचारधारा को भी सम्मान होना चाहिए। लोग विपरीत विचारधारा वालों को "मोदी भक्त', "अर्बन नक्सल" और अन्य तरह का लेबल लगातार संबोधित करते हैं। जबकि लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांत में अभिव्यक्ति की आजादी है और ये महत्वपूर्ण है कि लोकतांत्रिक राजव्यवस्था में लोग एक दूसरे के विचारधारा का सम्मान करें।
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