लॉकडाउन में बच्चों से बात वाली याचिका पर SC
नई दिल्ली लॉकडाउन के दौरान जो बच्चे एक पैरेंट्स के कस्टडी में हैं उन्हें दूसरे पैरेंट्स से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बातचीत की इजाजत की मांग पर ने कहा कि इस तरह से आदेश हम कैसे पारित कर सकते हैं अगर अदालत के आदेश के बावजूद इसकी कस्टडी में बच्चा है अगर पैरेंट्स ने बात नहीं करने दी तो कंटेप्ट केस की बाढ़ आ जाएगी। हम देशव्यापी ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकते हैं। लॉकडाउन के दौरान बच्चों की कस्टडी न पाने वाले पैरेंट्स के विजिटिंग राइट्स का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया था। याचिका में कहा गया था कि बच्चे की कस्टडी के मामले में जिनके पास बच्चे की कस्टडी नहीं है उन पैरेंट्स को डिजिटल माध्यम से बच्चे से बात करने की इजाजत हो तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकते। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि जिन पैरेंट्स को विजिटिंग राइट्स मिला हुआ है और बच्चों की कस्टडी नहीं मिली है उन्हें ऑनलाइन मुलाकात की इजाजत दी जाए। ताकि लॉकडाउन के दौरान बच्चा एक की कस्टडी के दौरान दूसरे पैरेंट्स के प्यार से वंचित न रह जाएं। याचिकाककर्ता डीयू में असिस्टेंट प्रोफेसर ने कहा कि डेढ़ महीने का लॉकडाउन हो रखा है। इस दौरान बच्चों के मेंटल हेल्थ को देखने की जरूरत है। ऐसे में उन्हें उन पैरेंट्स से कॉन्टैक्ट करने की इजाजत हो जो उनके पास नहीं हैं। खासकर जिन पैरेंट्स को विजिटिंग राइट्स मिला हुआ है उन्हें कॉन्टैक्ट करने की इजाजत मिलनी चाहिए इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बच्चों की कस्टडी विवाद मामले में जहां मां अपने बच्चे को पिता से बात करने की इजाजत नहीं दे रही है हम इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकते। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि लेकिन जिन पैरेंट्स को विजिटिंग राइट्स मिला है उन्हें तो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बात करने की इजाजत होनी चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम इस तरह का आदेश पारित करेंगे और जिनकी कस्टडी में बच्चे हैं और वह बात करने की इजाजत न दें तो कंटेप्ट केस की बाढ़ सी आ जाएगी। हम कैसे देशव्यापी आदेश पारित कर सकते हैं। हमें नहीं पता कि किस केस में विजिटिंग राइट्स है और किसमें नहीं। अदालत ने कहा कि इस तरह के मुद्दे को फैमिली कोर्ट देखेगी।
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