उद्धव कैसे बन सकते हैं मनोनीत MLC, जानें

मुंबई महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच नया संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनीत होने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इंतजार कर रहे हैं। इस बीच गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि महाराष्ट्र के सियासी अतीत पर नजर डालें तो पहले भी मंत्री बनने के बाद मनोनीत कोटे से एमएलसी बनते रहे हैं। 12 सीटें गवर्नर के मनोनीत कोटे के तहत महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को गवर्नर के मनोनीत कोटे से एमएलसी बनाने के लिए कैबिनेट ने प्रस्ताव भेजा है। राज्य में इससे पहले दत्ता मेघे और दयानंद महास्के को भी मंत्री बनने के बाद राज्यपाल विधान परिषद के लिए मनोनीत कर चुके हैं। आम तौर पर गवर्नर कोटे से एमएलसी मनोनीत करने के लिए कुछ योग्यताएं होनी जरूरी हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद की बात करें तो यहां कुल 78 सीटें हैं। इनमें से 66 सीटों पर निर्वाचन होता है, जबकि 12 सीटों के लिए राज्यपाल कोटे से मनोनीत किया जा सकता है। पढ़ें: विधान परिषद में ये निर्वाचित सदस्य 30 सदस्यों को विधानसभा के सदस्य यानी एमएलए चुनते हैं। 7-7 सदस्य स्नातक निर्वाचन और शिक्षक कोटे के तहत चुने जाते हैं। इनमें राज्य के सात डिविजन मुंबई, अमरावती, नासिक, औरंगाबाद, कोंकण, नागपुर और पुणे डिविजन से एक-एक सीट होती है। इसके अलावा 22 सदस्य स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत चुने जाते हैं। मनोनीत कोटे की शर्त जानिए अब बात आती है गवर्नर के मनोनीत कोटे की। इस कोटे के तहत विधान परिषद के 12 सदस्य चुने जाते हैं। इनमें साहित्य, विज्ञान, कला या कोऑपरेटिव आंदोलन और समाज सेवा का काम करने वाले विशिष्ट लोग आते हैं। संविधान के मुताबिक उद्धव ठाकरे को कला के आधार पर महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए राज्यपाल की ओर से मनोनीत किया जा सकता है, क्योंकि वह एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर रह चुके हैं। पढ़ें: उद्धव कला की श्रेणी में रखे जा सकते हैं राजनीति से इतर उद्धव की पहचान एक फोटोग्राफर के रूप में भी रही है। उन्होंने चौरंग नाम की एक विज्ञापन एजेंसी भी स्थापित की। उन्हें फोटोग्राफी का शौक है और उनके द्वारा महाराष्ट्र के कई किलों की खींची गई तस्वीरों का संकलन जहांगीर आर्ट गैलरी में है। उन्होंने महाराष्ट्र देश और पहावा विट्ठल नाम से चित्र-पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं। पढ़ें: 28 नवंबर 2019 को उद्धव ने ली शपथ उद्धव फिलहाल विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। 28 नवंबर 2019 को उन्होंने सीएम की शपथ ली थी। लिहाजा उन्हें शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर यानी 28 मई से पहले विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना जरूरी है। अब देखना है कि उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने पर राज्यपाल जल्द फैसला लेते हैं या 27 मई के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी होगी?


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