प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली ने सरकार से उस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि का खतरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है और ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में इसके इलाज के लिए सरकार रेट तय करे। दिल्ली सरकार ने हाल में कहा था कि दिल्ली में आठ अस्पतालों में कोरोना का इलाज होगा लेकिन रेट तय नहीं किया गया था। ऐसे में केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह प्राइवेट अस्पतालों में इसके इलाज के लिए कीमत रेग्युलेट करे। मरीजों को इलाज के दौरान दोहन से बचाया जाए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता एडवोकेट सचिन जैन की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश जारी करे कि प्राइवेट व कॉरपोरेट अस्पतालों में कोरोना मरीज के इलाज के लिए क्या खर्चा होगा इसे रेग्युलेट किया जाए और मरीजों को इलाज के नाम पर वित्तीय दोहन से बचाया जाए। अर्जी में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च को कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था। भारत में बड़ी संख्या में लोग आए दिन संक्रमित हो रहे हैं। भारत सरकार ने 21 मार्च 2020 को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना टेस्ट के लिए रेट तय किया था। और सुप्रीम कोर्ट ने गरीबों और आर्थिक तौर पर कमजोर के लिए टेस्ट फ्री करने को कहा था। ज्यादा बिल के कारण इंश्योरेंस कंपनी 50 फीसदी बिल कर रही है रिजेक्ट याचिका में कहा गया है कि हाल ही में मीडिया में खबर आई कि एक प्राइवेट अस्पताल ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए एक पेशेंट से 12 लाख रुपये चार्ज किए थे। दिल्ली सरकार ने हाल में मीटिंग कर बताया था कि दिल्ली में आठ प्राइवेट अस्पातल करेगा। लेकिन इस दौरान इलाज के खर्चे तय नहीं किए गए। हाल में एक और खबर छपी थी कि इंश्योरेंस कंपनी ने प्राइवेट अस्पताल के बिल पर ऑब्जेक्शन करते हुए अतार्किक कहा था और 50 फीसदी ही एप्रूव्ड किया था। ये मामला बेहद महत्वपूर्ण है और लोगों के हित में है। सरकार कानून के तहत प्राइवेट अस्पतालों के लिए रेट रेग्युलेट कर सकती है सुप्रीम कोर्ट में ये सवाल उठाया गया कि क्याभारत सरकार डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत प्राइवेट अस्पतालों के रेट रेग्युलेट कर सकता है। अदालत में गुहार लगाई गई कि भारत सरकार डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के हत प्राइवेट अस्पातलों के लिए कोरोना के इलाज के लिए रेट रेग्युलेट करे क्योंकि अनुच्छेद-21 के तहत लोगों को जीवन का अधिकार है और स्वस्थ्य जीवन का अधिकार मिला हुआ है। सरकार की ड्यूटी है कि वह लोगों के इस अधिकार की रक्षा करे। पब्लिक हेल्थ केयर की ये क्षमता नहीं है कि वह अकेले महामारी से लड़े ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में उचित दर पर इलाज हो इसकी व्यवस्था हो। कोरोना का कम से कम कीमत पर इलाज सुनिश्चित हो याची ने कहा कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह कोरोना के इलाज के लिए होने वाले खर्च को रेग्युलेट करे और कम से कम कीमत पर इलाज सुनिश्चित हो। अदालत से गुहार लगाई गई कि पब्लिक लैंड पर जो प्राइवेट अस्पताल है उसे निर्देश हो कि वह नो प्रॉफिट आधार पर इलाज करे। साथ ही सरकार को निर्देश हो कि जिन प्राइवेट अस्पातलों में गरीब का इलाज हो उसका खर्च सरकार उठाए।
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