मेरी ये दिली ख्वाहिश थी लेकिन मैं कर नहीं सकता...

नई दिल्ली भाइयों-बहनों, नमस्कार। मैं इरफान। मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी। खैर, ये फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम' मेरे लिए बहुत खास है। सच... यकीन मानिए, मेरी दिली ख्वाहिश थी कि इस फिल्म को उतने ही प्यार से प्रमोट करूं, जितने प्यार से हम लोगों ने बनाया है। लेकिन मेरे शरीर के अंदर कुछ अनवॉन्टेड मेहमान बैठे हुए हैं। उनसे वार्तालाप चल रहा है। देखते हैं किस करवट ऊंट बैठता है। जैसा भी होगा आपको इत्तिला कर दी जाएगी। कहावत है 'When life gives you lemons, you make a lemonade'.(जब जीवन आपको नींबू थमाता है, तो शिकंजी बनाएं, मतलब- जब भी जीवन में मुश्किलें आएं तो उनका भी लाभ उठाएं)। बोलने में अच्छा लगता है, (हंसते हुए) पर सच में जिंदगी जब आपके हाथों में नीबू थमाती है न... तो शिकंजी बनाना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन आपके पास और चॉइस भी क्या है पॉजिटिव रहने के अलावा? इन हालात में नीबू की शिकंजी बना पाते हैं या नहीं बना पाते हैं? यह आप पर है। हम सबने इस फिल्म को उसी पॉजिटिविटी के साथ बनाया है। मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म आपको सिखाएगी, हंसाएगी, रुलाएगी, फिर हंसाएगी शायद। ट्रेलर को एन्जॉय करो। एक-दूसरे के प्रति दयालू रहो और फिल्म देखो... और हां मेरा इंतजार करो। वो चला गया... वो चला गया अपना लंच बॉक्स हमें थमा गया, कुछ हिंदी तो कुछ अंग्रेजी मीडियम के पाठ पढ़ा गया, वो चला गया, कभी बिल्लू जैसा दोस्त, कभी मदारी तो कभी पान सिंह तोहर जैसा बागी बना गया...वो चला गया, जिंदगी के कारवां में करीब-करीब सिंगल रहना सिखा गया...जिंदगी की मेट्रो में सफर करना सिखा कर वो चला गया...वो जो है अब ख्वाब हैं जाने दो उसको अब वो चला गया... जाते-जाते वो कुछ कह गया, कह रहा था कि अम्मी जान खुद मुझे लेने आई हैं... खबर क्या मिली और हुआ क्या खबर तो कुछ यूं मिली थी कि शायद धरती से कोई उल्का पिंड टकराने वाला है, क्या पता था कि एक धरती का एक सितारा आसमान में चला जाएगा...कहते हैं आंखों से देखा हुआ और कानों से सुना अक्सर सच होता है। फिर भी ये दिल इस आंखों देखी हकीकी को मानने को राजी नहीं है। रंगमंच का बादशाह अब खुदगर्ज़ दुनिया को हमेशा के लिए विदा कह गया। बदले में छोड़ गया अपनी उस्तादी। उस्ताद था वो रंगमंच का। उस्ताद था वो अदाकारी का। उस्ताद था वो बेबाकी से बात करने का। उसके चाहने वालों पर आज कहर सा टूट पड़ा है। वो अब सुनने को तैयार नहीं हैं कि तुम अब दफ्न हो चुके हों। उसको कल की फिक्र नहीं महज आज और अभी की जिंदगी जीने की ख्वाहिश होती थी। करोड़ों लोगों के आंसुओं को रिहा कर गया। जज्बात के आगे अल्फाज़ हार रहे हैं आज। मां के बिना नहीं रह सका वो दो दिनों पहले ही इरफान की वालिदा (मां) का इंतकाल हुआ था और आज उनका काबिल बेटा भी रूख्सत हो गया। अब उनकी वालदा और उनका बेटा दोनों रूहानी दुनिया में चैन से गुफ्तगू कर रहे होंगे। इस जमीं पर उनकी जब नजर जाती होगी तो उनकी भी आंखें नम होती होंगी तो वहीं मां को फक्र हो रहा होगा। फक्र हो रहा होगा कि मेरी कोख ने एक ऐसे इंसान को जन्म दिया जिसके जाने से आज पूरा सारा जहां रो रहा है। इतनी मोहब्बत हर किसी को मयस्सर नहीं होतीं। मां से था गहरा लगाव इरफान ने एक इंटरव्यू में कैंसर की बीमारी से जूझने के दौरान ही राणा के इस शेर के जरिए मां के प्रति अपने भाव को दर्शाने की कोशिश की थी। इस शेर की लाइनों को लेकर उन्हें जानने वालों लोगों का कहना है कि इरफान शायद जानते थे कि उनकी मां की दुआएं उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि अभिनेता इरफान खान () न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर जैसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे थे। साथ ही काफी लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। हाल ही दोबारा तबियत बिगड़ने के बाद इरफान को मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इधर, उनकी मां ने भी इरफान के बीमार होने के बाद लगातार उनके लिए दुआएं करती रहती थी। उन्होंने अपने बेटे के बीमार होने के बाद कई बार इंटरव्यू में यह कहा था कि मैं चाहती हूं कि बेटा इरफान जल्द स्वस्थ होकर अपने घर जयपुर लौट आए, उसका घर आना मेरे लिए बहुत बड़ा तोहफा होगा। मेरी दुआएं वो जल्दी ठीक हो , हमेशा सलामत रहे। बीमारी के बाद भी लड़ता रहाबता दें 2018 में इरफान खान (Irfan khan) को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर का पता चला था। लंदन में उनका इलाज चल रहा था। इसके बाद उनकी तबीयत में सुधार होने के बाद वह भारत वापस आ गए थे। बीते दिनों उनकी मां का निधन हो गया था। लॉकडाउन के चलते वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे। लंदन से इलाज करवाकर लौटने के बाद इरफान कोकिलाबेन अस्पताल के डॉक्टर्स की देखरेख में ही रहे हैं। पिछले कई महीनों से कोकिलाबेन अस्‍पताल में वह अपनी बीमारी से जुड़े रूटीन चेकअप्स और ट्रीटमेंट करवाते रहे हैं। बताया जाता है कि फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम' के दौरान भी उनकी तबीयत बिगड़ जाती थी। ऐसे में कई बार पूरी यूनिट को शूट रोकना पड़ा था। इरफान जब बेहतर फील करते थे, तब शॉट फिर से लिया जाता था। आसमां में बहार ए रौनक का माहौल है जमीं पर आंसुओं का ही सैलाब है चला गया एक सितारा तो क्यूं ये अंधकार है लगता है खु़दा का ही कोई ये चमत्कार है इरफान तेरी कब्र पर मुझसे फ़ातिहा पढ़ा नहीं जाता तेरी अदाकारी की बातें अब मुझसे सहीं नहीं जाती तेरी तकरीरें, लतीफें अब मुझसे पढ़ें नहीं जाते तेरी मुस्कराहट अब भी मेरे दिल बसी हुई है इरफान तेरी नजरों का जलवा अब भी बरकरार है इरफान कहीं तो नजर आ कि तुझे एकबार तो देख सकूं फलक पर निगाह लगा बहुत थक गया हूं इरफान ---------------- विनीत त्रिपाठी


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