मजदूरों का दर्द, 'गोली मार दें, पर घर जाने दें'

अहमदाबाद गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले उत्तर प्रदेश के 40 प्रवासी मजदूरों के लिए यहां समय काटना मुश्किल हो गया। 24 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन हुआ। 21 दिन के पहले फेज का लॉकडाउन उन्होंने काट लिया लेकिन दूसरा लॉकडाउन होते ही उन लोगों की बेचैनी बढ़ गई। चांदलोडिया में किराए के कमरों से निकलकर 40 मजदूरों का यह समूह अंधेरे की आड़ में अपने घरों से निकल लिए। 43.8 डिग्री पारे की चिलचिलाती धूप में वह यूपी के लिए निकले लेकिन उन्हें मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर ही रोक दिया गया। कई मजदूर यहां भूखे-प्यासे मरने को मजबूर हैं। फैजाबाद जिले के मूल निवासी जितेंद्रकुमार विश्वामित्र ने बताया कि सोमवार को वह मोटरसाइकिल से अपने गृह जनपद के लिए निकले थे। दाहोद जिले में राज्य की सीमा तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई स्थानों पर पुलिस को रिश्वत भी दी। उन्होंने बताया, 'एमपी पुलिस ने एमपी के लोगों को सीमा पार करने की अनुमति दी, लेकिन हमें वापस भेज दिया। उन्होंने हमसे कहा कि अगर यूपी के मुख्यमंत्री हमारे लिए कहते हैं, तो ही वे हमें वहां से निकलने देंगे। तब गुजरात पुलिस ने हमारी मोटरसाइकिलें जब्त कर लीं, और हमें अहमदाबाद जिले की सीमा तक एक वाहन में भेजा गया।' 'गोली मार दें लेकिन घर जाने दें' जब वह अहमदाबाद और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर आए तो उन्हें वहां उनके जैसे तमाम मजदूर मिले। उन्होंने उनकी स्थिति का वीडियो भी बनाया। वीडियो में एक मजदूर कहता हुआ दिख रहा है, 'अगर हम कोरोना से संक्रमित हैं, तो आप हमें गोली मार सकते हैं। लेकिन हमें अपने घर जाने की अनुमति दें।' मकान मालिकों ने कमरे देने से किया इनकार विश्वकर्मा ने कहा कि इस समूह की एक और बड़ी समस्या है जो मुख्य रूप से बढ़ईगिरी में शामिल है और अहमदाबाद में हाउस पेंटिंग का काम बंद हो गया है। उन्होंने कहा, 'हम में से कुछ ने पहले से ही अपने किराए के कमरे छोड़ दिए हैं। मकान मालिकों से बात की तो उन्होंने भी वापस आने पर कमरा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हम लोग यात्रा कर चुके हैं इसलिए उन्हें वापस कमरे नहीं देंगे।' भूख-प्यास से तड़पत रहे मजदूर समूह ने कहा कि चिलचिलाती गर्मी के कारण चलना अधिक कठिन था, लेकिन वे लोग किसी तरह अपने घर पहुंच जाना चाहते थे। उन लोगों को कोई पानी तक के लिए नहीं पूछने आता, खाना तो बहुत दूर की बात है। उन लोगों के पास न तो अब वापस अहमदाबाद जाने का रास्ता है और न ही उन्हें उनके गृह जनपद भेजा जा रहा है। आखिरकार वापस आए आखिरकार अधिकारी उन्हें एक बस मुहैया कराने के लिए राजी हो गए लेकिन वे लोग मोटेरा तक ही पहुंच पाए। इन प्रवासियों के लिए प्रशासन ने अहमदाबाद वापस यात्रा की व्यवस्था क्यों नहीं की और उन्हें छोड़ दिया गया, दाहोद के जिला कलेक्टर विजय खराड़ी ने कहा, 'मुझे इस घटना की जानकारी नहीं है। मुझे इस मामले में टिप्पणी करने से पहले जानकारी करनी होगी।'


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