लॉकडाउन में भी प्रभावित नहीं हुई खेती: कृषि मंत्री
नई दिल्ली केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि देश में जरूरत से ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लॉकडाउन की स्थिति में भी गृष्मकालीन फसलों की बुआई पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा और इस वर्ष भी लक्ष्य से ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में खेती-किसानी का काम प्रभावित नहीं हो, इसकी सारी व्यवस्था हुई है। बुआई से लेकर कटाई का काम सुचारू रूप से चल रहा है और किसानों से अन्न खरीदे भी जा रहे हैं। लॉकडाउन में कृषि उत्पादों की कमी नहीं पड़ रहीउन्होंने कहा कि लॉकडाउन में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रेल मंत्रालय ने 67 मार्गों पर 60 माल गाड़ियां चलाईं। पहले रेल तभी चलती थी जब उसकी क्षमता तक माल मिल जाए, लेकिन अब सवारी गाड़ी की तरह ही माल गाड़ियां भी समय से खुल रही हैं। उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन में हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, लेकिन खाद्यान्न, सब्जियां, दूध आदि की कोई कमी नहीं हो रही है और न ही इनके दाम बढ़े हैं।' उन्होंने कहा कि जीडीपी में कृषि का योगदान 3.7% रहा है और आने वाले वक्त में भी यह कम नहीं होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पहले ग्रामीण और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था एक दूसरे के पूरक थी, इस कारण अभावों की पूर्ति होती रहती थी। हालांकि, बदलते वक्त के साथ-साथ अर्थव्यवस्था का आधार पर भी बदल गया जिसके गलत परिणाम सामने आते रहते हैं। मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलग-अलग तरह के आंकड़े भी बताए... खाद्यान्न का उत्पादन 2018-19 में 28 करोड़ टन था जो 2019-20 में बढ़कर 29.19 करोड़ टन हो गया। इस वर्ष भी लक्ष्य से अधिक उत्पादन होने वाला है। मौसम के अनुसार आने वाले समय में भी अच्छी फसल होने की उम्मीद है। वहीं, दलहन का उत्पादन भी 2014-15 में 17.20 मिलियन टन था जो अब बढ़कर 23 मिलयन टन हो गया है। गृष्मकालीन फसलों की बुआई इस वर्ष 57.07 लाख हेक्टेयर में गृष्मकालीन फसलों की बुआई हुई है जो पिछले वर्ष की तुलना में 38% ज्यादा है। लॉकडाउन में भी बुआई प्रभावित नहीं हुई, यह खुशी की बात है। बागवानी उत्पादन बागवानी में 2018-19 में 310 अरब टन था और 2019-20 में 313.35 अरब टन उत्पादन हुआ है। केसीसी लोन पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने कहा था कि किसानों को और सुविधा मिले और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का दायरा बढ़ना चाहिए। अभी देश में 8 से 8.5 करोड़ किसानों के पास केसीसी है। इनमें 6 करोड़ किसानों ने केसीसी लोन लिया है। फरवरी महीने में चित्रकूट में किसानों को केसीसी का लाभ देने का अभियान शुरू किया था। अभी 10-12 दिनों के अंदर 75 लाख किसानों ने केसीसी लोन का आवेदन किया और 20 लाख किसानों को लोन मिल चुका है। इन्हें 18 हजार करोड़ रुपये दिए गए। पीएम किसान योजना मंत्री ने कहा कि किसान और कृषि, दोनों की मदद के लिए पैसे उपलब्ध हों, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान योजना शुरू की। तोमर के मुताबिक, अब तक इस योजना से 9.39 करोड़ किसानों के खातों में 71 हजार करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं। कोरोना काल में इस योजना के तहत 17.986 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। MSP वृद्धि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बदलाव हुआ है। अब एमएसपी में 50 से 100 गुना तक की वृद्धि हुई है। गेहूं में 85 रुपये, सरसों में 225 रुपये की और चने में 255 रुपये की वृद्धि हुई। एमएसपी भी बढ़ी, पीएम किसान योजना के तहत नकद सहायता भी मिली और फिर केसीसी के तहत लोन के रूप में 3 लाख करोड़ रुपये और देने का प्रावधान हुआ तो किसानों को इनसे लाभ हो रहा है। फसल कटाई और खरीद फसल कटाई का काम अनेक परेशानियों के बावजूद नहीं रुका। दलहन और तिलहन की कटाई लगभग पूरी हो गई जबकि गेहूं की कटाई 88% पूरी हो गई है। लॉकडाउन के दौरान भी किसानों, मजदूरों को छूट दी गई। एमएसपी पर खरीद का काम भी लगातार चल रहा है। अब तक गेहूं 117 लाख टन, धान 18 लाख टन और दलहन 5 लाख टन खरीदा जा चुका है। पीएम फसल बीमा योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का भरपूर लाभ भी किसानों को मिला। 2018-19 और 2019-20 में 9,214 करोड़ रुपये किसानों का प्रीमियम जमा हुए और मुआवजे के रूप में उन्हें 85,289 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। फसल बीमा योजना में बदलाव किया गया। अब इस योजना को स्वैच्छिक कर दिया गया है। पहले इसका खर्च केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में उठाया जाता था। अब पूर्वोत्तर राज्य सिर्फ 10% खर्च उठाते हैं। ई-नाम इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन के लिए ई-नाम प्लैटफॉर्म भी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। 585 मंडिया जोड़ी गईं जहां 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ। 1 मई तक इनकी संख्या 685 हो जाएगी। मई महीने तक ईनाम प्लैटफॉर्म पर मंडियों की संख्या बढ़ाकर 1 हजार करने का लक्ष्य है।
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