बिहार में कैसे होगी छात्रों-मजदूरों की घर वापसी?
नीलकमल, पटना केंद्र की ओर से अनुमति मिलने के बाद राज्य के बाहर फंसे मजदूरों और छात्र-छात्राओं, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों के घर वापसी का रास्ता आसान नहीं(Lockdown me ) है। हालांकि, बिहार सरकार का कहना है कि इस मामले में मुख्य सचिव स्तर पर बैठक कर फंसे लोगों को वापस लाने की रणनीति तैयार की जाएगी। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का कहना है कि बिहार सरकार के पास इतनी बसें नहीं हैं कि वो हर राज्य में फंसे लोगों को बिहार ला सकें। सुशील मोदी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने फंसे लोगों के वापसी के लिए ट्रेन चलाने की बात नहीं कही है। सभी लोगों को बस से ही लाया जाना है, इसलिए सरकार उन तमाम राज्य सरकारों से बात करेगी जहां बिहार के लोग फंसे हुए हैं। क्या है घर वापसी के लिए केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन नई गाइडलाइन के मुताबिक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने नोडल अधिकारी नियुक्त करने होंगे। फंसे हुए लोगों को भेजने और लाने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य को आपस में बात करनी होगी। इसके अलावा एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहे लोगों को स्वास्थ्य जांच के बाद ही भेजा जाएगा। सबको बस में लोगों को बैठाने से पहले और फिर उन्हें उतारने के बाद सेनेटाइज किया जाएगा। बस में भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा। इसके बाद अपने शहर पहुंचने पर लोगों को फिर से स्क्रीनिंग से गुजरने के साथ 14 दिनों तक होम क्वारंटीन में रहना पड़ेगा। अगर उनमें से किसी को भी कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें सरकारी क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया जाएगा। सभी लोगों को आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसे भी पढ़ें:- क्या निजी वाहन या टैक्सी से कर सकेंगे घर वापसी केंद्र सरकार के अनुमति के बाद अन्य राज्यों में फंसे लोगों को राहत तो मिल गई, लेकिन सवाल यह है कि लाखों लोगों को लाया कैसे जाएगा। बात जब बिहार की होगी तो सिर्फ इसी राज्य के लाखों लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं। जाहिर है उन्हें वापस लाने के लिए हजारों बस की जरूरत होगी। ऐसे में दूसरे राज्य किस प्रकार मदद करेंगे यह भी देखना होगा। लाखों लोगों में कई ऐसे सक्षम लोग भी होंगे जो बस के बजाए निजी वाहन या टैक्सी कर वापस आना चाहेंगे। क्या दोनों राज्यों की सरकार उन्हें इसकी अनुमति देगी। राज्यों के बीच यह तो सहमति बन सकती है कि जिस राज्य के बस के जरिए लोग बिहार पहुंचेंगे, उसी बस से बिहार में फंसे उस राज्य के लोगों को भेज दिया जाएगा, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो कोरोना हॉटस्पॉट वाले इलाके में फंसे हैं और वे भी अब अपने गांव या शहर लौटना चाहते हैं। क्या ऐसे लोगों को घर से निकलने की इजाजत मिलेगी। जाहिर है केंद्र सरकार की ओर से राहत दिए जाने के बाद भी लोगों के घरवापसी का रास्ता इतना आसान नहीं है। इसके लिए सरकार और फंसे लोगों को भी संयम का परिचय देना होगा, क्योंकि घर वापसी प्रक्रिया पूरा करने में कई दिन लग सकते हैं। इसे भी पढ़ें:- बिहार के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- हैं तैयार हम बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य के बाहर फंसे लोगों को वापस लाने की अनुमति देकर लाखों लोगों को राहत दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार बिहार का स्वास्थ्य मंत्रालय पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में फंसे लोगों के बिहार पहुंचने पर उनके जांच की भी पूरी व्यवस्था भी कर ली गई है। मंगल पांडेय ने कहा कि दूसरे राज्य से आने वाले हर व्यक्ति को आने से पहले ही जांच की प्रक्रिया से गुजरना होगा। उनके अस्वस्थ पाए जाने पर उन्हें लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। विपक्ष ने फिर शुरू किया नीतीश सरकार पर हमला पहले राज्य से बाहर फंसे बिहारियों को वापस बुलाने की मांग को लेकर सरकार पर हमला करने वाले विपक्ष ने केंद्र से अनुमति मिलने के बाद भी नीतीश सरकार पर निशाना जारी रखा है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि जब केंद्र सरकार ने नीतिगत फैसला लेते हुए बाहर फंसे हुए मजदूरों और बच्चों को लाने की अनुमति दे दी है, तो बिहार सरकार को बिना किसी देरी, किंतु-परन्तु के उन्हें बिहार लाने की व्यवस्था में युद्धस्तर पर लग जाना चाहिए। तेजस्वी ने कहा कि देश के हरेक कोने कश्मीर से केरल और असम से लेकर गुजरात में फंसे हुए प्रत्येक बिहारी को सकुशल और ससम्मान उनके घर तक पहुंचाना, सरकार का कर्तव्य ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है। तेजस्वी ने नीतीश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वापसी के दौरान कोई बदइंतजामी ना हो। बाहर फंसे मजदूरों के स्वास्थ्य सुरक्षा, उनकी यात्रा, भोजन और राशन का उचित प्रबंध कर सकुशल वापसी सुनिश्चित करें। लालू यादव ने किया ये ट्वीट राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने बिहार के बाहर फंसे मजदूरों के मुद्दे पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, कबीर के इस दोहे में हमारे मजदूर भाईयों की भावना और बिहार सरकार के लिए संदेश छिपा है। 'माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रोंदे मोय, एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौदूंगी तोय'। बिहार के बेटे-बेटियों के साथ जो रवैया ये ज़ालिम सरकार अपना रही है वही रवैया ये करोड़ों दुखियारे इस सरकार के खिलाफ अपनाएंगे।
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