मेरठ में आखिर 2 दिन से क्यों मर रहे हैं चमगादड़?
प्रेमदेव शर्मा, मेरठ महामारी के बीच उत्तर प्रदेश के मेरठ में बुधवार को तालाब के पास मरे हुए 3 चमगादड़ मिलने से गांव में दहशत फैल गई। जानकारी मिलने पर वन विभाग की टीम और पशु चिकित्सा अधिकारी मौके पर पहुंचे। जांच के बाद चमगादड़ों के शव पोस्टमॉर्टम के लिए बरेली भेज दिए गए। गांववालों की मानें तो मंगलवार को भी गांव में चमगादड़ मरे मिले थे। लगातार दो दिनों से चमगादड़ों के शव मिलने को लेकर गांव में तरह-तरह की चर्चा है। इनकी मौत को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं। मेरठ की डीएफओ अदिति शर्मा ने बताया कि चमगादड़ के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए बरेली स्थित इंडियन वैटेनरी रीसर्च इंस्टिट्यूट में भेज दिया है। वहां से रिपोर्ट आने का इंतजार है। क्या कोरोना के खौफ में किसी ने इनकी हत्या की है? इस सवाल पर अदिति शर्मा ने कहा कि ये फल खाने वाले चमगादड़ थे। इन दिनों किसान फलों के पेड़ पर केमिकल का स्प्रे कर रहे हैं। शर्मा ने कहा कि पेस्टिसाइड्स के स्प्रे वाला फल खाने से इनके मौत की संभावना हो सकती है। उन्होंने आशंका जताई कि कुछ शरारती तत्वों ने लोगों में दहशत फैलाने के लिए भी इनकी हत्या कर तालाब के किनारे फेंक दिया होगा। उन्होंने बताया कि चीफ वैटनरी ऑफिसर से पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। वहीं, पशु चिकित्सक अजय सिंह ने बताया कि ये चमगादड़ बेहद दुर्लभ प्रजाति के हो सकते हैं। हालांकि, ये आबादी के इलाके में कैसे और क्यों पहुंचे? इसकी जांच की जा रही है। ग्राम प्रधान ने बताया क्या है मामला ग्राम प्रधान गंगाराम ने बताया कि मंगलवार को तालाब के पास तीन-चार चमगादड़ों के शव पड़े मिले थे। उन्होंने इसकी जानकारी वन विभाग को दी। प्रधान का आरोप है कि इसके बावजूद वन विभाग का कोई कर्मचारी गांव में नहीं पहुंचा। इसके बाद बुधवार को एक बार फिर तालाब के किनारे इसी प्रकार के तीन चमगादड़ों के शव बरामद हुए। गंगाराम का कहना है कि जैसी महामारी फैलने के चलते ग्रामीणों में दहशत है। कोरोना के खौफ में चमगादड़ को मार डाला गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के पीछे बार- बार ये कहा जाता है कि यह बीमारी चमगादड़ खाने से फैली है। कोरोना के खौफ में फरवरी महीने में मेरठ में गंगानगर के शिवलोक कॉलोनी में एक युवक ने चमगादड़ को डंडे से पीटकर मार डाला था। हालांकि मेरठ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स का कहना है कि चमगादड़ों में वायरस तो होता है, लेकिन वह आदमी को संक्रमित करता है इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। किसान के दोस्त मेरठ के सिविल लाइन्स इलाके में कई पेड़ों पर सैकड़ों की संख्या में लटके हुए रोस्टस प्रजाति यानी फल खाने वाले चमगादड़ नज़र आते हैं। ये शांत स्वभाव के जीव किसानों के दोस्त होते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो इन्हें जंगल का किसान भी कहते हैं, क्योंकि यह परागण में अहम भूमिका निभाते हैं। गूलर, अमरूद, कदम आदि के फलों को खाने के बाद ये जंगल में परागण करते हैं। इससे वहां नए पौधे तैयार हो जाते हैं। ये रात के अंधेरे में पेड़ों से उतरकर खेतों में तमाम तरह के कीड़े खाकर उन्हें फसलों को नुकसान पहुंचाने से रोकते हैं।
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