एक लापरवाही, कोरोना के खतरे में सैकड़ों जानें

नई दिल्ली देश की राजधानी दिल्ली के इलाके में के मुख्यालय में 200 से ज्यादा लोगों के कोरोना संदिग्ध पाए जाने से हड़कंप मच गया है। दिल्ली सरकार ने मरकज के मौलाना के खिलाफ फौरन मुकदमा दर्ज करने को कहा है। उन पर आरोप है कि देश में लॉकडाउन होने के बाद भी उन्होंने इतना बड़ा धार्मिक आयोजन कराया। साथ ही इसके लिए उन्होंने कोई अनुमति भी नहीं ली थी। बताया जा रहा है कि इस धार्मिक आयोजन में लगभग 300-400 लोग शामिल हुए थे। कोरोना संक्रमित होने की संभावना के बाद यहां मौजूद 163 लोगों को दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल की ओर से कहा गया है कि उनके यहां कोरोना संक्रमित 174 मरीज भर्ती हैं, जिसमें से 163 निजामुद्दीन इलाके से ही आए हैं। रविवार को 85 मरीज आए जबकि 34 को सोमवार को भर्ती कराया गया। मरकज मुख्यालय में कोरोना की खबर से खलबली कोरोना का कोहराम दुनियाभर में मचा है। जो जहां है उसे एहतियातन वहीं रोक दिए जाने की कोशिशें युद्धस्तर पर जारी हैं। इसी के चलते दुनिया भर में मशहूर मरकज तबलीगी जमात मुख्यालय में करीब 1600 लोग फंस गए हैं। इन 1600 लोगों में से करीब 250 विदेशी मूल के बताए जाते हैं। जमात का मुख्यालय दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के निजामुद्दीन थाना क्षेत्र में स्थित घनी आबादी वाले निजामुद्दीन बस्ती के बीच मौजूद है। दिल्ली पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, ‘जमात मुख्यालय के अंदर मौजूद लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के तहत दूर-दूर रखा गया है। जमात मुख्यालय के बाहर टेंट-तंबुओं में भी आइसोलेशन वार्ड्स स्थापित कर दिए गए हैं, ताकि यहां हर आने वाले को पहले कुछ दिन आइसोलेशन वार्ड्स में रखा जाए।’ मरकज में 5 हजार लोगों के होने के उम्मीद दिल्ली पुलिस के एक आला-अफसर ने कहा, ‘कहने देखने को मरकज तबलीगी हेडक्वॉर्टर में 5000 से भी ज्यादा लोग एक साथ मौजूद रह सकते हैं। लॉकडाउन की घोषणा होने से चंद रोज पहले तक यहां देशी-विदेशी मेहमानों की संख्या हजारों में थी।’ पढ़ें : इस पुलिस अधिकारी के बयानों की पुष्टि मरकज मुख्यालय प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद शुएब अली ने भी की। उन्होंने कहा, ‘हां, यह जानकारी बिलकुल दुरुस्त है। 18 मार्च को जब पहली मर्तबा हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री मोदी जी ने लॉकडाउन की घोषणा की तो हमारे हेडक्वॉर्टर में 5000 से ज्यादा लोगों की भीड़ मौजूद थी।’ लॉकडाउन के बाद सबको घर जाने को कहा मरकज तबलीगी जमात मुख्यालय के प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘पीएम के लॉकडाउन की घोषणा के बाद ही लोगों ने यहां से रुखसती लेना शुरू कर दिया था। यह सब एहतियातन सबके हित में था। लॉकडाउन डिक्लेयर होते ही जमात हेडक्वार्टर इंतजामियों ने सबसे पहले हिंदुस्तानियों को अपनी-अपनी जगह शहरों में तुरंत वापस जाने की अपील की थी। उसके बाद जमात हेडक्वार्टर ने हिंदुस्तान में मौजूद तमाम संबंधित दूतावासों से निजी तौर पर संपर्क साधना शुरू कर दिया।’ मरकज प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘तबलीगी हेडक्वार्टर इंतजामियों ने निजी तौर पर इसलिए दूतावासों से संपर्क साधा ताकि किसी गफलत-गलतफहमी के चलते लोगों में कोई अफवाह न फैल जाए। साथ ही उम्मीद थी कि विदेशियों की मदद के लिए अगर सीधे हमारा मरकज हेडक्वार्टर संबंधित तमाम देशों के दूतावासों से खुद अपने लोगों को हिंदुस्तान से हमवतन वापसी का इंतजाम कर देगा, तो वक्त कम लगेगा।’ पुलिस ने मरकज खाली करने को कहा था दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ‘लॉकडाउन की पहली खबर प्रसारित होते ही निजामुद्दीन थाने के एसएचओ व अन्य पुलिसकर्मी भी मरकज हेडक्वार्टर के कर्ता-धर्ताओं को सतर्क कर आये थे। साथ ही पुलिस ने उन्हें मशविरा भी दिया था कि, हालात नाजुक होने से पहले ही तबलीगी जमात मुख्यालय को भीड़ से खाली करा लिया जाये।’ पढ़ें : इन तथ्यों की पुष्टि तबलीगी प्रवक्ता ने भी की। उनके मुताबिक, ‘जहां तक मुझे याद आ रहा है एसएचओ निजमाउद्दीन ने 21 मार्च को यह सब हिदायतें हम सबको यहां आकर दी थीं। जिन पर हम लोगों ने उसी वक्त अमल फरमाना शुरू कर दिया।’ प्रवक्ता ने कहा, ‘दिन रात की इन तमाम कोशिशों के बाद भी 22 मार्च, 2020 को करीब 2000 से ज्यादा लोग जमात हेडक्वार्टर में बाकी बचे थे।’ दो बुजुर्गों की मौत से दहशत तबलीगी मरकज में पहुंचे दो बुजुर्गों की चार दिन के अंदर संदिग्ध हालात में मौत हुई है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन्हें कोरोना था या नहीं। तबलीगी मरकज पहुंचे जिन दोनों बुजुर्गों की मौत हुई है, उनमें एक तमिलनाडु और दूसरे कश्मीर घाटी के रहने वाले थे। एक की मौत की वजह हार्ट अटैक, जबकि दूसरे की मौत की वजह कोरोना का सदमा बताया जाता है। मरने वाले एक बुजुर्ग का जिनका नाम गसगीर (63) था, मरकज में ठहरे हुए थे। उन्हें शनिवार को तबीयत खराब होने पर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। गसगीर तमिलनाडु के रहने वाले थे। प्रवक्ता ने मरकज पहुंचे दूसरे शख्स के भी कोरोना पॉजिटिव होने की बात से साफ इनकार किया। मरने वाले बुजुर्ग सहारनपुर भी गए थे उनके मुताबिक, ‘मरकज तबलीगी जमात में छह मार्च को हमारे यहां 65 साल के कश्मीर सोपोर के मूल निवासी भी पहुंचे थे, जिनकी बाद में कश्मीर के एक अस्पताल में मौत हो गई। उनकी मौत की वजह कश्मीरी डॉक्टरों ने कॉर्डियक अरेस्ट बताई थी। वह साहब यूपी, दिल्ली होते हुए कश्मीर वापस चले गए थे। वह मरकज तबलीगी जमात में दो तीन दिन रुककर 9 मार्च को यहां से चले गए थे।’ मौत की खबर से सहारनपुर में भी खलबली है क्योंकि वह बुजुर्ग वहां भी गए थे। पढ़ें : तबलीगी जमात के प्रवक्ता ने कश्मीरी बुजुर्ग की मौत की वजह भले ही कार्डियक अरेस्ट बताई है, मगर कश्मीरी अस्पताल के डॉक्टरों और मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक वह बुजुर्ग कोरोना पॉजिटिव था। कोरोना पॉजिटिव के रूप में कश्मीर घाटी में यह पहली मौत मानी गई। नौ मंजिला है मरकज हेडक्वार्टर जानकारी के मुताबिक दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में मौजूद मरकज तबलीगी जमात हेडक्वार्टर 9 मंजिला है। इसमें एक वक्त में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौजूदगी संभव हो सकती है। पता चला है कि इस वक्त भी करीब 1600 लोग इस इमारत के भीतर मौजूद हैं। इन सभी को फिलहाल जो भी सबसे बेहतर इंतजाम मुनासिब था, उसी हिसाब से आइसोलेट करके रखा गया है। 250 से ज्यादा विदेशी मेहमान इन 1600 लोगों में से अधिकांश हिंदुस्तानी हैं। बाकी दो या ढाई सौ लोग विदेशी मेहमान हैं। इनमें से मरकज मुख्यालय के अनुरोध पर 20-25 अपने लोगों को सऊदी दूतावास ने इंतजाम करके सुरक्षित जगहों पर ले जाकर खुद ही आइसोलेशन वार्ड में रखने का इंतजाम कर लिया है। बाकी यहां बचे विदेशियों में सर्वाधिक संख्या थाईलैंड, इंडोनेशिया, किर्गिस्तान, मलेशिया के मूल निवासियों की बताई जाती है। अकेले इंडोनेशिया के 200 से ज्यादा लोग सूत्रों के मुताबिक, ‘इस वक्त यहां मौजूद विदेशियों में सबसे ज्यादा 200 के करीब लोग सिर्फ इंडोनेशिया के ही हो सकते हैं। इसी तरह करीब 30 लोग थाईलैंड के और 10-15 के बीच किर्गिस्तान के हैं। इसके अलावा कई अन्य देशों के लोगों के भी यहां लॉकडाउन के दौरान फंस जाने के चलते मौजूद होने की उम्मीद से इनकार नहीं किया जा सकता है।’ अब तक 6 लोगों में कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि उल्लेखनीय है कि यहां से बीते दो दिनों में (शनिवार और रविवार) को करीब 200 लोगों को राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में एहतियातन दाखिल करा दिया गया है। इनमें से ज्यादातर लोग 60 साल से ज्यादा की उम्र के हैं। इन 200 में से जिन कुछ लोगों को दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायाण (एलएनजेपी) अस्पताल में दाखिल कराया गया, उनमें से पता चला है कि छह की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। हालांकि मरकज प्रवक्ता ने कहा, ‘संबंधित अस्पताल ने हमें अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी है।’ मरकज तबलीगी जमात क्या है? तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों की दावत देने वाला यानी प्रचार करने वाला। वहीं जमात का मतलब होता है समूह। यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। मरकज का मतलब होता है मीटिंग के लिए जगह। दरअसल, तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। बताया जाता है कि इस आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। इसकी शुरुआत हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू हुई थी। इस जमात के मुख्य उद्देश्य "छ: उसूल" (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। एशिया में इनकी अच्छी खासी आबादी है। निजामुद्दीन में इस जमात का मुख्यालय है। (इनपुट: आईएएनएस)


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