कोरोना का डर जेल में आसाराम की नींद उड़ी

नई दिल्ली कोरोना के कारण देश में कई जेलों से कैदियों को छोड़े जाने की कवायदों के बीच बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आसाराम बापू की भी रिहाई की मांग की है। नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी और जेल की हवा खा रहे आसाराम की अधिक उम्र और बीमारी का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने उसकी रिहाई की मांग की है। देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण हजारों कैदियों को रिहा किया जा रहा है। इससे पहले आसाराम के समर्थक भी सोशल मीडिया पर उकी रिहाई की अपील कर रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण 29 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 1,071 लोग इसके गिरफ्त में है। जोधपुर जेल में बंद है आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद 1,375 कैदियों में आसाराम बापू भी शामिल है। बीते दिनों कोरोना के बहाने खुद को पैरोल पर छोड़े जाने की मांग को लेकर आसाराम के भूख हड़ताल पर बैठने की भी खबर आई थी। बताया जाता है कि आसाराम को कोरोना के कारण कैदियों के बीच डर लग रहा है। स्वामी ने ट्वीट कर आसाराम के रिहाई की मांग की सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोमवार को एक ट्वीट किया, ‘यदि दोषी करार कैदियों को छोड़ा जा रहा है तो गलत तरीके से दोष सिद्ध करार 85 वर्षीय बीमार आसाराम बापू को पहले छोड़ना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों एक याचिका की सुनवाई करते हुए कोरोना वायरस के खतरे के कारण जेलों के इंतजाम पर सवाल खड़े किए थे। क्षमता से कई गुना ज्यादा कैदियों के होने पर राज्य सरकारों को कुछ को पैरोल पर छोड़ने का सुझाव दिया था। पैरोल पर वे कैदी छोड़े जाते हैं जिनका जेल में चाल-चलन ठीक पाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अमल करे हुए उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में कैदियों को छोड़ने की कवायद चल रही है। पढ़ें, नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म की सजा काट रहा है आसाराम ऐसे में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी आसाराम बापू को छोड़ने की मांग उठाई है। उल्लेखनीय है कि जोधपुर के निकट स्थित आसाराम के मनाई आश्रम में रहने वाली एक नाबालिग छात्रा ने आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। एक अगस्त, 2013 को उजागर हुए इस मामले में 31 अगस्त, 2013 को आसाराम की इंदौर से गिरफ्तारी हुई थी। वहीं 25 अप्रैल को जोधपुर की अदालत ने उन्हें नाबालिग से दुष्कर्म करने का दोषी माना था। तब से आसाराम बापू जेल में बंद हैं। तो क्या नियम के मुताबिक आसाराम को छुट्टी मिलेगी? सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ये कहा है कि 7 साल से कम की सजा काट रहे लोगों को पैरोल या अंतरिम जमानत दी जाए। इसके लिए उसने एक समिति भी बनाने का निर्देश दिया था। यह समिति इसी बात का फैसला करने के लिए बनाई गई है कि किसे रिहा किया जाना चाहिए और किसे नहीं। अगर समिति को लगता है कि वाकई आसाराम को रिहा किया जाना चाहिए और उसके रिहा होने से कानून व्यवस्था नहीं बिगड़ेगी, तो आसाराम रिहा हो सकते हैं, लेकिन अगर समिति को जरा भी संदेह होता है तो वह एक कैदी की जान बचाने के लिए हजारों बेकसूर नागरिकों को मौत के मुंह में नहीं धकेलेंगे। हां, अगर बहुत जरूरी लगा तो आसारम को एक अलग जेल में आइसोलेट कर के रखा जा सकता है।


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