'हिंदू भाइयों ने घर में रखा, लाइन बना निकाला'

अनूप पांडेय, नई दिल्लीउत्तर-पूर्वी दिल्ली जब दंगों की आग में जल रह थी, उस समय वहां इंसानियत और भाइचारे की लौ भी टिमटिमा रही थी। दंगों की आग बुझने के बाद अब दिल को कुछ सुकून देने वाली ये कहानियां सामने आ रही हैं। शुक्रवार को अपने रिश्तेदार का हालचाल जानने जीटीबी अस्पताल पहुंचीं तबस्सुम और ईश्वरी ने बताया कि कैसे हिंदू परिवारों ने गली के करीब 10 मुस्लिम परिवारों को दंगाइयों की भीड़ से बचाया। दो दिन तक अपने घर पर पनाह दी और फिर ह्यूमन चेन बनाकर सुरक्षित रिश्तेदारों के घर तक पहुंचाया। पढ़िए ईश्वरी और तबस्सुम की जुबानी उस खौफनाक रात में भाईचारे की कहानी... 'हिंदू भाइयों ने अपने घर में शरण दी, बच्चों को खाना खिलाया'तबस्सुम बताती हैं, 'यह 24 और 25 फरवरी की रात की बात है। उस दिन हमारी गली में अचानक ही भीड़ घुस आई। कुछ के सिर पर हेलमेट थे। कुछ हथियार लिए हुए थे। मेरे गली वालों ने हमें अपने घरों में छिपा लिया। हमारे बच्चों को खाना खिलाया। हम सब करीब सौ-पचास लोग थे। उन्होंने पूरी रात हमारी हिफाजत की।' 'मस्जिद तक ह्यूमन चेन बनाकर हमें निकाला' तबस्सुम आगेत बताती हैं, 'उन्होंने हमें निकालने के लिए लाइन बनाई। हमारा हौसला बढ़ाते हुए कहा, पहले हम हैं... पहले हम पर हमला होगा। घबराओ मत। हम आपके साथ हैं। हमारी मस्जिद है। वहां तक हमारे लिए लाइन बनाई और बाहर निकाला।' तबस्सुम और ईश्वरी उनके इलाके में भड़की हिंसा के लिए बाहरवालों को जिम्मेदार मानती हैं। वह कहती हैं, 'हमारे हिंदू भाइयों ने हमें वहां से निकाला है। ऐसा भाईचारा सभी रखें। हिंदू और मुस्लिम सब एक हैं। बस मोहब्बत से रहने की जरूरत है। जो बाहर के लोग आते हैं, सब एक होकर उन्हें निकाल दें।'


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