सवाल पूछ रहीं आंखें, आपके पास है जवाब?
नई दिल्ली मां-बाप की मौत पर मासूम से सवाल पूछतीं, दंगों के धुएं में गुम हुए अपनों को खोजतीं, नफरत के उन लम्हों को याद कर एक-दूसरे से कतरातीं... दिल्ली में दंगों का असली मंजर अब आंखों से बह रहा है। ये आंखें कहीं किसी बूढ़े बाप की हैं, कहीं जवान बेटा खो चुके किसी मां की, तो कहीं मां-बाप को खो चुके मासूम की हैं या फिर 15 दिन पहले दुनिया में कदम रखने वाले नवजात की हैं। इन सवाल पूछतीं आंखों में दिल को जो सबसे ज्यादा तीर की तरह चुभ रही हैं, वह सात-आठ साल के इस मासूम की हैं। मुमकिन है कि यह तस्वीर आप तक भी पहुंची होगी। और अगर पहुंची होगी, तो यह तय है कि आप उन आंखों के मासूम सवालों से नजरें न मिला पाए होंगे। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में दंगों में मारे गए मुद्दसिर खान का शव जब घर पहुंचा, तो उनका मासूम बेटा बिलख पड़ा। उसे समझ ही आया कि कल तक साथ खेलने वाले अब्बू आखिर बेजान क्यों पड़े हैं। मुद्दसर की बूढ़ी मां केसरजहां कहती हैं, 'इन बच्चों के चेहरे को देखिए। छोटे वालो को तो यह भी मालूम नहीं की आखिर हुआ क्या है। इनके भविष्य को कौन देखेगा?' मुद्दसर की 14 साल की बड़ी बेटी पिता की मौत पर यकीन ही नहीं कर पा रही है। वह कहती हैं, '14 फरवरी को मेरा जन्मदिन था। पापा ने मुझे गाउन गिफ्ट किया था' मासूम आंखों में अभी भी तैर रहा खौफ दंगों की आग में झुलसे कर्दमपुरी में जिंदगी अब पहले जैसी होने की कोशिश में है। लेकिन आंखों में आशंकाएं और सवाल कई हैं। कर्दमपुरी की इन दो बच्चियों की आंखों में आप उन सवालों को पढ़ सकते हैं। आखिर तुम कहां चले गए! दिल्ली में फैले दंगों में आईबी के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या को 6 दिन हो चुके हैं, लेकिन बूढ़ी मां की आंखों को आज भी बेटे के यूं चले जाने पर यकीन नहीं है। साथ ही इन आंखों में सवाल भी कई हैं। आखिर क्यों?
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