'अफगानिस्तान में शांति के लिए आतंकवाद का खात्मा जरूरी'

नई दिल्लीविदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने एक आत्मनिर्भर, संप्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान के लिए भारत के समर्थन से अफगान नेतृत्व को अवगत कराया। हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने कहा कि देश में स्थाई शांति के लिए बाहर से प्रायोजित आतंकवाद को समाप्त करना जरूरी है। श्रृंगला दो दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को काबुल पहुंचे, जिस दौरान उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला, निर्वाचित उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब से बातचीत की। पिछले महीने भारत के विदेश सचिव के तौर पर कार्यभार ग्रहण करने वाले श्रृंगला की यह पहली विदेश यात्रा है। अफगानिस्तान की राजधानी में विदेश सचिव ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, विदेश मंत्री मोहम्मद हारून चकहानसुर एवं कार्यवाहक वित्त मंत्री अब्दुल जादरान से मुलाकात भी की। उन्होंने अलग से अफगान नेताओं, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों से भी बातचीत की। अमेरिका और के बीच दोहा में एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर होने से एक दिन पहले श्रृंगला काबुल पहुंचे। इस समझौते से अफगानिस्तान में तैनाती के 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो सकेगी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'विदेश सचिव ने अफगान नेतृत्व के साथ अपनी बैठकों में दोनों पड़ोसियों और रणनीतिक साझेदारों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और विकास साझेदारी बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।' मंत्रालय ने कहा कि श्रृंगला ने एक आत्मनिर्भर, संप्रभु, लोकतांत्रिक, बहुलवादी और समावेशी अफगानिस्तान के लिए भारत के लगातार समर्थन को दोहराया, जिसमें अफगान समाज के सभी वर्गों के हितों को संरक्षित हो। विदेश सचिव ने स्थाई और समावेशी शांति एवं सुलह के लिए अफगान नेतृत्व, अफगान स्वामित्व और अफगान नियंत्रण के लिए भारत के समर्थन को व्यक्त किया। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में स्थाई शांति के लिए बाहर से प्रायोजित आतंकवाद को खत्म करने की जरूरत है।' बाह्य रूप से प्रायोजित आतंकवाद का उल्लेख तालिबान को पाकिस्तान के अघोषित समर्थन के अप्रत्यक्ष संदर्भ के रूप में देखा जाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि श्रृंगला ने चौथा राष्ट्रपति चुनाव कराने और अंतिम परिणाम की घोषणा के लिए अफगानिस्तान की जनता और सरकार को बधाई दी। उन्होंने हाल के घटनाक्रमों से उत्पन्न शांति की उम्मीद को देखते हुए देश के लोगों के लिए स्थाई शांति और सुरक्षा की दिशा में राजनीतिक नेतृत्व के सभी वर्गों के एकसाथ काम करने की जरूरत पर बल दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगान नेतृत्व ने अफगानिस्तान की शांति, विकास और समृद्धि के लिए भारत के समर्थन की 'काफी सराहना' की, जिसमें चाबहार बंदरगाह का संचालन और भारत और अफगानिस्तान के विभिन्न शहरों के बीच हवाई माल गलियारों की स्थापना जैसे क्षेत्रीय संपर्क के प्रयास शामिल हैं। श्रृंगला की यात्रा के दौरान भारत के विकास संबंधी सहायता से अफगानिस्तान के बामियान और मजार-ए-शरीफ प्रांतों में सड़क परियोजनाओं के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें कहा गया, 'इस दौरान नई विकास साझेदारी के कार्यान्वयन के लिए एकसाथ काम करने और रणनीतिक साझेदारी समझौते के अनुसार सहयोग का विस्तार करने के लिए सहमति हुई।' भारत अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण हितधारक रहा है क्योंकि उसने युद्ध प्रभावित देश के पुनर्निर्माण में पहले से ही लगभग दो अरब अमरीकी डॉलर खर्च कर दिए हैं। अमेरिका, रूस और ईरान जैसी प्रमुख शक्तियां अफगान शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के प्रयासों के तहत तालिबान तक पहुंच बना रही थीं। भारत का कहना है कि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी भी प्रक्रिया से ऐसा कोई 'गैर शासित स्थान' उत्पन्न नहीं होना चाहिए, जहां आतंकवादी और उनके समर्थक स्थानांतरित हो जाएं। शांति समझौते से पहले भारत ने अमेरिका से कहा कि हालांकि अफगानिस्तान में शांति के लिए इस्लामाबाद का सहयोग महत्वपूर्ण है लेकिन पाकिस्तान पर इसको लेकर दबाव बनाया जाना चाहिए कि वह अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकी नेटवर्कों पर शिकंजा कसे।


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