अंग्रेजों के काले कानून जैसा है CAA: उर्मिला

मुंबई के खिलाफ सिनेमा जगत की तमाम हस्तियों के विरोध करने के बाद अब ऐक्ट्रेस ने भी इस कानून की आलोचना की है। उर्मिला ने नागरिकता संशोधन कानून की तुलना अंग्रेजों के रॉलेट ऐक्ट से की है। रॉलेट ऐक्ट को ब्रिटिश शासकों ने 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद पास कराया था और इस कानून को इतिहास में काले कानून की संज्ञा दी जाती है। गुरुवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना करते हुए उर्मिला मातोंडकर ने कहा,'1919 में पहला विश्व युद्ध के खत्म होने बाद अंग्रेज यह समझ गए थे कि हिंदुस्तान में उनके खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। इसलिए उन्होंने रॉलेट ऐक्ट जैसे एक कानून को भारत में लागू कराया। 1919 के इस रॉलेट ऐक्ट और 2019 के सिटिजनशिप अमेंडमेट ऐक्ट को अब इतिहास के काले कानून के रूप में जाना जाएगा।' क्या था रोलेट ऐक्ट मार्च 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से रोलेट ऐक्ट बनाया गया था। यह कानून सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की सिफारिशों के आधार पर बनाया गया था। इस कानून के तहत ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए उसे जेल में बंद कर सकती है। इस कानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार भी खत्म कर दिया गया था। इस कानून के खिलाफ देशव्यापी हड़तालें और विरोध प्रदर्शन हुए थे। बॉलिवुड के 300 कलाकारों ने जारी किया था बयान बता दें कि उर्मिला से पहले बॉलीवुड से जुड़े तमाम अन्य लोगो ने भी नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना की थी। अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, फिल्म निर्माता मीरा नायर, गायक टीएम कृष्णा, लेखक अमिताव घोष, इतिहासकार रोमिला थापर समेत 300 से ज्यादा हस्तियों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का विरोध करने वाले छात्रों और अन्य के साथ एकजुटता प्रकट की है। 'इंडियन कल्चरल फोरम' में 13 जनवरी को प्रकाशित हुए बयान में इन हस्तियों ने कहा कि सीएए और एनआरसी भारत के लिए 'खतरा' हैं। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं उर्मिला बता दें कि उर्मिला मातोंडकर 2019 के चुनाव से पहले मुंबई में कांग्रेस पार्टी की सदस्य बनी थीं। उर्मिला पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि 2019 के चुनावी मैदान में उर्मिला मातोंडकर को हार का सामना करना पड़ा था।


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