सबरीमला के खुले पट, महिलाओं की होगी एंट्री?
सबरीमला मकरविलक्कू उत्सव के लिए सबरीमला में भगवान अयप्पा मंदिर के द्वार कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार शाम को खोले गए। मंदिर के पट 41 दिवसीय मंडला तीर्थ उत्सव के समाप्त हो जाने के बाद 27 दिसंबर को बंद हो गए थे। इस दौरान एक बार फिर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ आवाज मुखर हो गई है। ऑल का कहना है कि वे किसी भी सूरत में मंदिर में महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देंगे। काउंसिल के सदस्यों ने कहा है कि वे मंदिर के आस-पास कड़ी चौकसी करेंगे। मुख्य पुजारी एके सुधीर नम्बूथिरी ने मंदिर के द्वार खोले और गर्भ गृह व 18 पवित्र सीढ़ियों पर अनुष्ठान किए जिसके बाद तीर्थयात्रियों को मंदिर में दर्शन की अनुमति दी गई। प्रधान पुजारी कंडारू महेश मोहनारु ने विभिन्न अनुष्ठानों का निरीक्षण किया। मकरविल्लकू उत्सव का आयोजन 15 जनवरी को होगा और मंदिर के द्वार 21 जनवरी को बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर के दर्शन के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े होकर इंतजार कर रहे हजारों श्रद्धालुओं ने ‘स्वामीये शरणम् अयप्पा’ का उच्चारण किया। हालांकि सोमवार को कोई विशेष पूजा नहीं की गई। 1,397 पुलिसवालों की तैनातीइस बार तीर्थयात्रा शांतिपूर्ण सम्पन्न हुई। इससे पहले सभी आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के के फैसले को लागू करने के राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ श्रद्धालुओं ने पिछले साल व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किए थे। मकरविलक्कू उत्सव के लिए सबरीमाला में 1,397 पुलिस कर्मियों के नए दस्ते को तैनात किया गया है। इस समय मंदिर में एक त्वरित कार्रवाई बल और बम निरोधक दस्ते समेत 1,875 पुलिसकर्मी पहले से ही तैनात हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर में पुलिस की सुरक्षा में महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए केरल सरकार को कोई आदेश देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बहुत ही भावनात्मक विषय है और हम नहीं चाहते कि स्थिति विस्फोटक हो। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि इस मामले में संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आज कोई आदेश नहीं दिया जाए। यह मुद्दा पहले ही सात सदस्यीय पीठ को सौंपा जा चुका है। (समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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