सबसे ताकतवर K4 मिसाइल टेस्ट करेगा भारत

मनु पब्बी, विशाखापट्टनम भारत इस हफ्ते के आखिर में बंगाल की खाड़ी में अपनी सबसे शक्तिशाली परमाणु प्रतिरोधक मिसाइल का परीक्षण करने के लिए तैयार है। इस परीक्षण के जरिए भारत परमाणु हमले की सूरत में अपने जवाबी हमले की क्षमता को प्रदर्शित करेगा। सूत्रों ने बताया कि सबमरीन से लॉन्च हो सकने वाली K-4 न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण पूर्वी तट से होने वाला है, बशर्ते मौसम सही रहे। यह 3,500 किमी तक मार करने की क्षमता वाली मिसाइल अरिहंत क्लास परमाणु पनडुब्बी के लिए डिजाइन की गई है। डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के डिवेलपमेंटल ट्रायल के हिस्से के तौर पर इसका अंडरवॉटर पंटून से परीक्षण किया जाएगा। यह परीक्षण परमाणु क्षमता से लैस मिसाइल के संचालन की दिशा में अहम पड़ाव होगा। इससे नवंबर की शुरुआत में इसका ट्रायल करने की योजना थी, लेकिन उसे पूर्वी तट पर बुलबुल चक्रवात आने की वजह से रद्द कर दिया गया था। K-4 के अंतिम परीक्षण की कोशिश 2017 में की गई थी और इसके डिवेलपमेंट प्रोसेस में तेजी लाने की अपील की गई थी। खासकर, यह देखते हुए कि देश की दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात का काम पूरा होने वाला है और यह जल्द ही ट्रायल के लिए तैयार हो जाएगी। भारत ने मिसाइल के ट्रायल की तैयारी के लिए समुद्री जहाजों को पहले ही बता दिया है। इसने एयरमैन को हिंद महासागर तक फैले 3,000 किमी लंबे उड़ान मार्ग को बंद करने के लिए नोटिस भेजा है। K-4 के पहले तीन परीक्षण हुए हैं और इसे असल गेम चेंजर माना जाता है, जो देश को जवाबी हमले का विकल्प देगा। भारत के पास INS अरिहंत में एक ऑपरेशनल SLBM (K15) है। हालांकि, इसकी मारक क्षमता 750 किमी है, जो जवाबी हमले की धार को कुंद करती है। इसके साथ ही न्यूक्लियर ट्रायड का प्रभाव भी सीमित है। भारत की है ‘नो फर्स्ट यूज पॉलिसी’ पिछले कुछ वर्षों में जमीन पर मार करने वाली अग्नि सीरीज की मिसाइलों ने कई परीक्षणों के साथ अपनी उपयोगिता साबित की है। भारत के पास मिराज 2000 लड़ाकू विमान हैं, जो परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं। बता दें कि आमतौर पर पानी के नीचे से लॉन्च मिसाइल को जवाबी हमले का सबसे ताकतवर हथियार माना जाता है। भारत ‘नो फर्स्ट यूज पॉलिसी’ पर अमल करता है। यानी यह अपने रणनीतिक हथियारों का इस्तेमाल तभी करेगा, जब न्यूक्लियर हमले की शुरुआत दुश्मन की ओर से होती है। इस हालात में सभी संभावित दुश्मनों को टारगेट करने की क्षमता से लैस गहरे समुद्र में छिपी पनडुब्बी सबसे प्रभावी हथियार मानी जाती है। DRDO ने K-5 पर भी काम शुरू कर दिया है, जो 5,000 किमी की मारक क्षमता से लैस SLBM है। यह न्यूक्लियर पावर्ड पनडुब्बियों पर भी फिट की जाएगी। K-5 के सफलता से भारत जमीन, समुद्र और हवा से हमला करने में सक्षम हो जाएगा।


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