प्याज की मार: जनता ही नहीं, सरकार भी लाचार
नई दिल्ली प्याज के बेकाबू होते दामों के आगे जनता के बाद अब सरकार भी लाचार नजर आने लगी है। प्याज की किल्लत के कारण देश के विभिन्न इलाकों में इसके रिटेल रेट 80 से 120 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं और सरकारी संस्थानों की ओर से भी अब प्याज की रियायती दामों पर बिक्री नहीं की जा रही है। इस साल खरीफ सीजन के प्याज की फसल खराब होने के कारण अब सारी उम्मीदें आयात पर टिक गई हैं। सितंबर में प्याज के खुदरा रेट 50-60 रुपये किलो के आसपास थे। गुरुवार को दिल्ली में प्याज के रिटेल दाम 80 से 100 रुपये किलो रहे, तो चेन्नै, मुंबई, विजयवाड़ा में यह 120 रुपये किलो तक बिका। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक, हैदराबाद में रेट 100 रुपये तो पटना में 82 और शिमला में 80 रुपये रहा। देश में प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज के दामों में लगातार तेजी आ रही है। इससे पहले 2013 में प्याज के दाम 100 रुपये किलो पर पहुंच गए थे। इसके कारण यूपीए सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। प्याज कारोबारियों का कहना है कि आवक कम होने से रेट बढ़ रहे हैं। इसके अलावा जिन कारोबारियों के पास प्याज का पुराना स्टॉक है, वह भी इसकी अधिक से अधिक कीमत वसूलने की कोशिश कर रहे हैं।
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