ठाकरे परिवार का सांपों से दिलचस्प कनेक्शन

अभिजीत आत्रे, मुंबई महाराष्ट्र चुनावों के नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना अध्यक्ष पर राज्य समेत पूरे देश की नजरें टिकी थीं। एक शिवसैनिक को सीएम बनाने की मांग पर डटे उद्धव अब इस पद को खुद संभाल रहे हैं लेकिन उनके बारे में एक और खास बात है जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो। उद्धव राजनीति से दूर वन्यजीवों, खासकर सांप की प्रजातियों से काफी लगाव रखते हैं। ने भी कुछ वक्त के लिए सांपों के लिए काम किया था। हालांकि, बालासाहेब और उद्धव से भी आगे उनके छोटे बेटे हैं जिन्होंने इस साल पश्चिमी घाटों पर सांप की एक नई प्रजाति की खोज भी कर दी। इस प्रजाति का नाम भी तेजस के नाम पर बोइगा ठाकरेयी रख दिया गया। इंडियन हरपिटॉलजिकल सोसायटी (IHS) के निदेशक और पुणे के कटराज स्नेक पार्क के संस्थापक नीलिमकुमार खैरे ने तीनों पीढ़ियों का सांपों के साथ लगाव देखा है। यह भी पढ़ें: यूं शुरू हुआ सफरउद्धव का यह सफर भी 1995 में तभी शुरू हुआ जब उन्हें कटराज पार्क में एंट्री नहीं मिली थी। सेना के कुछ कार्यकर्ता पार्क पहुंचे लेकिन बुधवार होने के कारण पार्क बंद था। सेना के नेता और पार्क के सिक्यॉरिटी गार्ड्स के बीच बहस हुई तो खैरे गेट पर पहुंचे और नियमों का हवाला देकर गेट खोलने से इनकार कर दिया। इस पर सेना के कार्यकर्ताओं ने एक गाड़ी की ओर इशारा किया जिसमें उद्धव बैठे थे। खैरे बताते हैं, 'मैं गाड़ी तक गया और उद्धव को समझाया कि स्नेक पिट्स की सफाई के लिए पार्क हर बुधवार को बंद रखा जाता है। मैं हैरान रह गया जब उद्धव ने मेरी बात समझी और अपने लोगों से जाने को कहा। उसके बाद वह अगले दिन वह बिना किसी कार्यकर्ता के आए, सिर्फ बेटे तेजस के साथ।' यह भी पढ़ें: हमेशा जाते थे स्नेक पार्क उद्धव लगभग पूरा दिन पार्क में अलग-अलग प्रजातियों के बारे में जानकारी लेते हुए बिताया। उन्होंने IHS के वॉलंटिअर्स के साथ चट्टानों पर बैठकर पेड़ों की छाया में टपरी की चाय भी पी। छुट्टियों के दिनों में ठाकरे परिवार लोनावला के कार्ला गुफाओं में परिवार की कुलदेवी एकवीरा के मंदिर में दर्शन के लिए आता था। वे पुणे जाते थे तो स्नेक पार्क से 3 किमी दूर मुकुंदनगर में दोस्त अगस्ती कनिटकर के घर रुकते थे। जब भी उद्धव कार्ला या पुणे जाते थे, स्नेक पार्क जरूर जाते थे। ऐसे ही एक बार पुणे के चिड़ियाघर पेश्वे पार्क में उद्धव खैरे के साथ गए। खैरे ने बताया, 'जब वह फोटो ले रहे थे तो मैंने उनसे कहा कि हमारे पास जानवरों और सांप की प्रजातियों की तस्वीरें लेने के लिए जरूरी कौशल नहीं है। उन्होंने जो फोटो लिए थे वह हमें दे दीं और बिना किसी क्रेडिट के डॉक्युमेंटेशन में हमारी मदद की।' यह भी पढ़ें: तेजस ने आगे बढ़ाया प्यार दिलचस्प बात यह है कि जब उद्धव पार्क और चिड़ियाघर के डॉक्युमेंटेशन में मदद कर रहे थे तब महाराष्ट्र में सेना सत्ता में थी। चिड़ियाघर और पार्क दोनों स्थानीय निकाय के अंतर्गत आते थे जिन्हें राज्य सरकार देखती थी। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद 2005 के बाद उद्धव राजनीति में व्यस्त हो गए। सांपों से उनके प्यार को उनके बेटे तेजस ने आगे बढ़ाया। सांप की नई प्रजातियों के विवरण वाला उनका पेपर बॉम्बे नैचरल हिस्ट्री सोसायटी की जर्नल में इस साल प्रकाशित हुई। इत्तेफाक से जिस सांप की खोज तेजस ने की थी उसे आम भाषा में 'ठाकरे कैट स्नेक' के नाम से जाना जाता है उस पर बाघ जैसी धारियां हैं। यह भी पढ़ें: यह भी पढ़ें: जब हाथ में जहरीला सांप लेकर पहुंचे बालासाहेब खैरे ने 1970 में बाल ठाकरे के साथ हुई मुलाकात याद की जब वह माथेरन गए थे। तब खैरे माथेरन के एक होटल में ऑफिसर थे और इलाके में वाइल्डलाइफ कार्यकर्ता के तौर पर जाने जाते थे। एक अल सुबह ठाकरे हाथ में एक सांप लेकर खैरे को ढूंढते हुए पहुंचे। खैरे ने बताया, 'पनोरमा पॉइंट पर बालासाहेब को कई लोग जमा मिले। जब वह पास गए तो उन्होंने देखा कि वे लोग सांप को मारने जा रहे हैं। उन्होंने सांप को बचाया और मेरे पास ले आए। जब मैंने उन्हें बताया कि वह सांप बहुत जहरीला वाइपर था तो वह हंस दिए। ऐसे थे रिस्क लेने वाले बालासाहेब।'


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