वॉट्सऐप से जासूसी: कैसे और किसने बनाया शिकार?

नई दिल्ली मेसेजिंग प्लेटफॉर्म 'वॉट्सऐप' के जरिए जासूसी करने का मामला गुरुवार को सामने आया। भारत में जिन्हें हैकर्स ने शिकार बनाया, वे मुख्य रूप से मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और पत्रकार हैं जो आदिवासियों, दलितों के लिए अदालत में सरकार से लड़ रहे थे या उनकी बात रख रहे थे। मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील शालिनी गेरा ने बताया कि अक्टूबर की शुरुआत में उनसे टोरंटो यूनिवर्सिटी की सिटिजन लैब के जॉन स्कॉट-रेल्टन ने संपर्क किया। उन्होंने कहा, 'जॉन ने मुझे बताया कि मैं डिजिटली तौर पर मुश्किल में फंस गई थी और उन्होंने मुझसे इसकी जांच करने को कहा।' पढ़ें, गेरा उस कानूनी टीम की मेंबर हैं जो एल्गर परिषद मामले की एक आरोपी सुधा भारद्वाज का बचाव कर रही है। सुधा ने कथित तौर पर भीमा कोरेगांव हिंसा का नेतृत्व किया था। गेरा को बताया गया कि सिटिजन लैब के पास उन फोन नंबरों की एक सूची है, जिनके बारे में रिसर्च यूनिट का मानना है कि इजरायली स्पाइवेयर पेगासस ने इस साल फरवरी से मई तक उन्हें निशाना बनाया। गेरा ने कहा कि उनका नंबर भी उस सूची में शामिल है। पेगासस को इजरायली फर्म, एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है। जब गेरा से पूछा गया कि क्या उन्हें वॉट्सऐप पर कोई संदिग्ध मिस्ड कॉल आया था, उन्होंने कहा, 'जिस वक्त के बारे में उन्होंने (सिटिजन लैब) मुझे बताया, उस दौरान स्वीडन में एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से कई संदिग्ध विडियो कॉल आए थे। मैंने उन्हें पिक नहीं किया था क्योंकि मैं स्वीडन में किसी को नहीं जानती थी। जॉन ने बताया कि मेरे लिए यह जरूरी नहीं था कि वह शिकार होने के लिए फोन उठाएं लेकिन वे बार-बार फोन करते रहे।' पढ़ें, गेरा ने बताया कि जॉन ने मई के अंत में उनका फोन खो गया था। इसलिए यह जांचने का कोई तरीका नहीं है कि उनके फोन को हैकर्स ने निशाना बनाया था या नहीं। गेरा ने कहा कि जब उन्हें इस बारे में पता चला तो वह बेहद असुरक्षित महसूस करने लगीं। गेरा उन 17 भारतीयों में से एक हैं जिनके फोन संभवतः स्पाइवेयर का शिकार बने थे, जिनका इस्तेमाल सऊदी के पत्रकार जमाल खशोगी की जासूसी करने के लिए भी किया गया था। उन सभी को फोन कॉल, एक टेक्स्ट मेसेज या सिटिजन लैब से एक ईमेल के द्वारा संभावित हैकर्स का शिकार बनने का पता चला। जिन लोगों को शिकार बनाया गया, उनमें बस्तर की मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया, बीबीसी के पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी, एल्गर परिषद मामले में कई लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले निहालसिंह बी राठौड़, दलितों और आदिवासियों के लिए आवाज उठाने वाले डिग्री प्रसाद चौहान, लेखर आनंद तेलतुमडे और विदेशी मामलों और डिफेंस कवर करने वाले टीवी पत्रकार सिद्धांत सिब्बल भी शामिल हैं। वॉट्सऐप की ओर से खास मेसेज भेजकर इनसे संपर्क किया गया था और चेतावनी दी गई कि उनके फोन हैक किए गए। पढ़ें, इनमें से अधिकांश या तो मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं या वकील, कुछ एल्गर परिषद मामले में आरोपियों का बचाव कर रहे हैं। अन्य छत्तीसगढ़ में काम करने वाले आदिवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। कुछ दलित अत्याचार के खिलाफ केस लड़ रहे हैं और कुछ पत्रकार हैं। कैसी की जासूसी इजरायल के स्पाइवेयर 'पेगासस' के जरिए हैकिंग को अंजाम दिया गया। वॉट्सऐप के मुताबिक, इस स्पाइवेयर को इजरायल की सर्विलांस फर्म एमएसओ ने डिवेलप किया था। इसके लिए वॉट्सऐप ग्रुप के खिलाफ मुकदमा करने जा रही है। कंपनी ने कहा कि मई में उसे एक ऐसे साइबर हमले का पता चला जिसमें उसकी विडियो कॉलिंग प्रणाली के जरिए ऐसा किया गया। 10 डिवाइस के लिए 4.6 करोड़ रुपये2016 की प्राइस लिस्ट के अनुसार, एनएसओ ग्रुप ने अपने ग्राहकों से 4.6 करोड़ रुपये 10 डिवाइस को हैक करने के ऐवज में चार्ज लेता है। इसके अलावा करीब 3.5 करोड़ रुपये इंस्टालेशन फीस के तौर पर लिए जाते हैं। अमेरिकी व्यापार पत्रिका फास्ट कंपनी ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में ऐसा दावा किया था। राठौड़ ने पहले ही बताया थानागपुर के वकील निहालसिंह राठौड़, जो एल्गर परिषद मामले के कई आरोपियों के लिए कोर्ट में लड़ रहे हैं, ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उन्होंने मार्च में वॉट्सऐप पर शिकायत दर्ज की थी, लेकिन इस महीने की शुरुआत में ही जवाब मिला। उन्होंने कहा, 'इस साल मार्च में पहली बार संदेह हुआ, मैंने तुरंत वॉट्सऐप को जानकारी दी कि मेरा डेटा कुछ मालवेयर के कारण खराब हो रहा है। कंपनी उस समय जवाब देने में विफल रही, लेकिन सिटिजन लैब ने पुष्टि की।' राठौड़ दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रफेसर जी एन साईबाबा का भी केस लड़ रहे हैं, जो माओवादी लिंक होने के आरोप में महाराष्ट्र जेल में बंद हैं। वॉटसऐप ने ही दी जानकारी वॉट्सऐप ने खुलासा किया कि एक इजरायली स्पाइवेयर के जरिए दुनिया भर में कई वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी की गई। कुछ भारतीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस जासूसी का शिकार बने हैं। हालांकि, वॉट्सऐप ने यह नहीं बताया कि कितने भारतीयों की जासूसी की गई। चार महाद्वीपों के वॉट्सऐप यूजर्स इस जासूसी का शिकार बने हैं। इनमें राजनयिक, राजनीतिक विरोधी, पत्रकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं। वॉट्सऐप ने यह जानकारी नहीं दी कि किसके कहने पर फोन हैक किए गए हैं। 'गंगेज' दिया था नामवॉट्सऐप प्रमुख विल कैथकार्ट ने वॉशिंगटन पोस्ट में लिखा कि उनकी कंपनी ने पहली बार मई 2019 में साइबर हमले के इस नए रूप का पता लगाया था। इसने ऐप के विडियो-कॉल ऑप्शन के जरिए फायदा उठाया। कैथकार्ट ने कहा कि वे एनएसओ की भागीदारी के बारे में 'निश्चित' थे क्योंकि जानकारी मिली कि साइबर हमलावरों ने सर्वर और इंटरनेट-होस्टिंग सेवाओं का उपयोग किया था जो पहले एनएसओ से जुड़े थे। वॉट्सऐप की जांच में सहायता करने वाली टोरंटो यूनिवर्सिटी की सिटिजन लैब ने कहा कि साइबर हमलावरों ने 'ऑपरेटरों' का इस्तेमाल किया और भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ब्राजील और हॉन्ग कॉन्ग के लिए 'गंगेज' का नाम दिया गया। 4 नवंबर तक जवाब दे वॉट्सऐपआईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को ट्वीट किया, 'सरकार मेसेजिंग प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप पर देश के नागरिकों की गोपनीयता भंग होने से चिंतित है। हमने वॉट्सऐप से इस पर जवाब मांगा है और साथ ही पूछा है कि वह करोड़ों भारतीय नागरिकों की निजता की रक्षा के लिए क्या कर रहा है।' सरकार ने 4 नवंबर तक इस पर वॉट्सऐप से प्रतिक्रिया देने को कहा है।


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