CM के सवाल पर आदित्य, जनता का फैसला मंजूर
मुंबई में ठाकरे परिवार के किसी सदस्य द्वारा न लड़ने की परंपरा को तोड़ने वाले सोमवार को जनता और मीडिया से रू-ब-रू हु।शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ने कहा कि वह महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। शिवसेना की यूथ विंग 'युवा सेना' के चीफ आदित्य ने कहा कि सक्रिय राजनीति में आने का फैसला बहुत बड़ा है लेकिन मुझे भरोसा है कि आप लोग मुझे संभाल लेंगे। मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर आदित्य ने कहा कि वह आम आदमी हैं और जनता आगे जो फैसला करेगी, वह वही करेंगे। आदित्य ठाकरे मुंबई की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। शिवसेना के मौजूदा विधायक सुनील शिंदे आदित्य ठाकरे के लिए अपनी सीट छोड़ेंगे। आदित्य ने कहा कि मैं सिर्फ वर्ली नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए काम करूंगा, मुझे जीत का भरोसा है क्योंकि आप सभी का आशीर्वाद मेरे साथ है। उन्होंने कहा, 'राजनीति से बहुत से लोगों का भला किया जा सकता है। पूरे महाराष्ट्र को घूमकर मैंने समझा है कि आगे कैसा काम करना है। जिनकी आवाज हम तक नहीं पहुंच पा रही है, उनकी आवाज जनता हम तक पहुंचाए।' वर्ली शिवसेना की सबसे सुरक्षित सीट शिवसेना के एक सूत्र ने कहा, 'वर्ली को शिवसेना की सबसे सुरक्षित विधानसभा सीटों में से एक समझा जाता है, इसलिए आदित्य की उम्मीदवारी को अंतिम रूप दिया गया है। एनसीपी के पूर्व नेता सचिन अहीर हाल में शिवसेना में शामिल हुए थे जो आदित्य ठाकरे की जीत को आसान बना सकते है।' अहीर को 2014 के विधानसभा चुनाव में सुनील शिंदे ने पराजित किया था। दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा 1966 में शिवसेना की स्थापना किए जाने के बाद से ठाकरे परिवार से किसी भी सदस्य ने कोई चुनाव नहीं लड़ा है या वे किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं रहे है। पिछले चुनाव में राज ठाकरे ने की थी चुनाव लड़ने की घोषणा उद्धव के चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने 2014 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताई थी। हालांकि उन्होंने बाद में अपना मन बदल लिया था। उद्धव ठाकरे ने शनिवार को अपने उस 'वादे' को याद किया जो उन्होंने अपने दिवंगत पिता बाल ठाकरे से किया था। उन्होंने एक 'शिव सैनिक' (पार्टी कार्यकर्ता) को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था। सीटों के बंटवारे को लेकर हुए विवाद के बाद 2014 का विधानसभा चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग लड़ा था। बीजेपी ने 260 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसे 122 सीटों पर जीत मिली थी जबकि शिवसेना ने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 63 सीटें मिली थी। (भाषा से इनपुट के साथ)
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