हरियाणा में चुनाव, इन बाबाओं का है खास दखल

चंडीगढ़ भारतीय राजनीति में बाबाओं और उपदेशकों का अच्छा खासा दखल रहा है और हरियाणा इसका एक बड़ा उदाहरण माना जाता है। डेरों से नेताओं के मजबूत संबंधों का भी एक बड़ा कारण है। दरअसल, इसके पीछे उद्देश्य बाबाओं या उपदेशकों के अनुयायियों यानी समर्थकों का वोट बैंक होता है। इसी वजह से राज्य से लेकर देश की राजनीति तक इन बाबाओं का बड़ा दखल रहता है। सतलोक आश्रम के स्वयंभू रामपाल और के प्रमुख अलग-अलग आपराधिक मामलों में जेल में हैं। हरियाणा की राजनीति में इनका व्यापक असर माना जाता था। राजनीतिक दलों के कई दिग्गज इनके अनुयायियों में शामिल थे और चुनाव के समय जनसमर्थन जुटाने के लिए इनकी शरण में आते थे। हालांकि, इनके जेल में जाने के बाद से राजनीतिक दलों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं तो आइए रोहतक के कुछ खास महंत, बाबा और उपदेशकों के बारे में जानते हैं। बाबा बालक नाथ: अलवर से सांसद बाबा बालक नाथ रोहतक-दिल्ली रोड पर स्थित बाबा मस्त नाथ यूनिवर्सिटी के चांसलर भी हैं। मस्त नाथ डेरा रोहतक और जींद के बीच में स्थित है, जिससे देशभर में बसे नाथ समुदाय के एक बड़े हिस्से की आस्था जुड़ी हुई है। अकसर अलग-अलग दलों के बड़े राजनेताओं के हेलिकॉप्टर प्राइवेट यूनिवर्सिटी में उतरते हैं। बालक नाथ का नाम मई में रोहतक लोकसभा सीट से के संभावित उम्मीदवार के तौर पर सामने आया था। बालक नाथ यादव समुदाय से आते हैं। यही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री परिवार के साथ भी उनके बहुत घनिष्ठ संबंध हैं। कली दास महाराज: कली दास महाराज का डेरा रोहतक जिले के सांपला में है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह महज नारियल पानी पीकर ही जीवित हैं। वर्ष 2017 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष) रोहतक के तीन दिवसीय दौरे के वक्त डेरा में भी पहुंचे थे। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा तक सभी डेरा जा चुके हैं। इसके अलावा बीजेपी के बैनर तले आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भी कली दास को अकसर देखा जाता है। कली दास के करीबी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी उनके 'सीधे संबंध' होने का दावा करते हैं। बाबा कपिल पुरी: पुराने रोहतक शहर में गौकरण धाम नाम से वह डेरा संचालित करते हैं। पंजाबी समुदाय में उनके प्रति गहरी आस्था है। कपिल पुरी को पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है और कहा जाता है कि कांग्रेस के प्रति उनका झुकाव स्वाभाविक है। बालक नाथ की तर्ज पर उनका नाम भी रोहतक से संभावित उम्मीदवार के रूप में चल रहा था। पंजाबी समुदाय में उनके प्रभुत्व के कारण उन्हें हरियाणा के मंत्री मनीष ग्रोवर के जवाब के रूप में देखा जाता है। हालांकि, वह चुनावी राजनीति में किसी भी प्रकार की दिलचस्पी से इनकार करते हैं। उपदेशक का कहना है कि सभी दलों के नेता आकर डेरा के सामने सिर झुकाते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं चुनाव लड़ने का कतई इच्छुक नहीं हूं लेकिन मैं किसी के लिए टिकट जरूर ले सकता हूं।' बीजेपी के कार्यक्रमों में भी उनकी उपस्थिति में भी कुछ हैरान करने जैसा नहीं है। बाबा करण पुरी: रोहतक के पंजाबी समुदाय के लोगों पर उनका भी दबदबा है। उनका मुख्यालय, जिसे कि बालक पुरी डेरा कहा जाता है, वह डबल फाटक क्षेत्र में स्थित है। डेरा में बीजेपी नेताओं की आवाजाही लगी रहती है और करण पुरी खुद भी पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। कुछ पंजाबियों का कहना है कि समुदाय कपिल पुरी और करन पुरी में बंटा हुआ है। महंत सतीश दास: सतीश दास के साथ अपने संबंधों को समाप्त करने के बाद औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए। वह वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी की ओर से मेहम सीट से प्रत्याशी थे और कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवारों के बाद वह तीसरे स्थान पर रहे थे। उनका मुख्यालय रोहतक जिले के मेहम क्षेत्र में है। दशकों से मेहम के आसपास के गांवों से डेरा आने वाले लोगों से उन्हें मजबूती मिलती है। इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए


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